srilanka-crisis
Pic: Social Media

    Loading

    नई दिल्ली. जहां एक तरफ श्रीलंका (Srilanka) में फिलहाल आर्थिक संकट अब नई शिखर पर पहुंच चूका है। वहीं इस बढ़े हुए महंगाई के चलते अब लोगों के खाने पर भी भयंकर आफत आ गई है। दरअसल मामले पर विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि, देश में फिलहाल 60 लाख से अधिक लोगों पर खाने का संकट मंडरा रहा है। वहीं श्रीलंका वर्तमान में गिरते भंडार के साथ एक गंभीर विदेशी मुद्रा संकट से भी जूझ रहा है और सरकार यहां आवश्यक आयात के बिल को वहन करने में असमर्थ है। 

    महंगाई से टूट रही श्रीलंका की कमर 

    इतना ही नहीं आज श्रीलंका में पेट्रोल की किल्लत इस कदर हावी है कि है कि हाई प्रोफाइल लोगों जिनमें क्रिकेटर से लेकर राजनेता तक शामिल हैं को दो दिनों तक लंबी कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। ताजा उदहारण श्रीलंकाई क्रिकेटर चमिका करुणारत्ने (Chamika Karunaratne) का है, जिन्होंने देश में चल रही पेट्रोल की किल्लत के चलते होने वाली परेशानी के बारे में बताया है। 

    आज बुलाई गयी श्रीलंका की संसद

    इधर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज श्रीलंका में संसद की विशेष बैठक बुलाई गई है। इस अहम् बैठक में अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए कार्यवाही शुरू की जाएगी। इसके साथ ही आगामी 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति के चुने जाने की भी संभावना है। बता दें कि श्रीलंका के इतिहास में यह पहली बार है कि, जब  राष्ट्रपति की नियुक्ति सांसदों द्वारा होगी, न कि लोकप्रिय जनादेश द्वारा। पता हो कि, पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया ने देश से भागने के बाद अपने इस्तीफे का एलान कर दिया है।

    कौन कौन हैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में 

    हालाँकि श्रीलंका का नया राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नवंबर 2024 तक के बाकी के कार्यकाल के लिए ही होगा। बता दें कि, अगले सप्ताह होने वाले चुनाव की दौड़ में विक्रमसिंघे सबसे आगे होंगे। 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने के लिए मई में प्रधानमंत्री बनाया गया था।  हालाँकि उनकी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) 2020 के संसदीय चुनाव में हार गयी थी। वहीं विक्रमसिंघे 1977 के बाद से पहली बार कोई सीट जीतने में नाकाम रहे थे। संसद में संख्या बल नहीं होने के चलते वह एसएलपीपी पर निर्भर हैं।   

    इधर उनके कभी ख़ास पार्टनर रहे, प्रेमदास (55) लंबे समय तक विक्रमसिंघे की छत्रछाया में रहे लेकिन बाद में उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। उनकी नव गठित एसजेबी ने 2020 के चुनाव में विक्रमसिंघे की पार्टी को उसके सभी गढ़ों में मात दी थी और मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी थी।   

    इसके बाद आता है फील्ड मार्शल सरत फोन्सेका (71) का नंबर, वह भी राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं। जान लें कि, उन्होंने उग्रवादी संगठन लिट्टे (LTTE) को हराने में अहम भूमिका निभायी थी। फोन्सेका को सिंहली बौद्ध बहुसंख्यक आबादी का भी समर्थन हासिल है।  हालांकि, अगर उनके नेता प्रेमदास इस मुकाबले से बाहर हो जाते हैं तभी वह राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ में शामिल हो सकते है