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    नागपुर. कोरोना महामारी के संकटकाल में लोगों को राहत पहुंचाने में प्रयासरत रहा स्वास्थ्य विभाग अच्छे कार्यों के लिए चर्चा में रहा है किंतु अब नियमों को ताक पर रखकर हुए कार्यों को लेकर लगातार लग रहे आरोंपों के कारण विभाग पुन: एक बार सुर्खियों में आ गया है.

    मनपा में वरिष्ठ पार्षद आभा पांडे की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद मनपा प्रशासन में न केवल स्वास्थ्य विभाग को लेकर लीपापोती शुरू हो गई, बल्कि विभाग की जिम्मेदारी किस सहायक आयुक्त के तहत रही है, इसे लेकर अब आनन-फानन में परिपत्रक भी जारी कर दिया गया है.

    इसका दावा करते हुए पांडे ने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी इस परिपत्रक से ही अब तक स्वास्थ्य विभाग में कुछ ठीक नहीं होने पर मुहर लग रही है. वास्तव में कोई भी नई जिम्मेदारी प्रदान करने के लिए प्रशासन के सर्वेसर्वा की ओर से इस तरह का परिपत्रक निकालना पड़ता है.

    अब तक कौन देख रहा था विभाग

    उन्होंने कहा कि 2 दिन पहले मनपा आयुक्त ने स्वयं और अलग-अलग 3 अतिरिक्त आयुक्त के अंतर्गत आने वाले विभागों की सूची जारी की है जिसके अनुसार स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी अति. आयुक्त राम जोशी के पास होने की जानकारी उजागर की जा रही है, जबकि अति. आयुक्त जोशी काफी पहले से ही स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी देख रहे हैं. यहां तक कि उनकी ओर से कई आदेश भी जारी किए जा चूके हैं.

    इसके अलावा यदि अब उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है तो इससे पहले कौनसे अधिकारी के पास इसका अधिकार था, इसका खुलासा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह के पुख्ता दस्तावेज उजागर हो रहे हैं उसके अनुसार कोरोना काल में भारी भ्रष्टाचार होने का खुलासा हो रहा है. लेकिन यदि किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करना हो तो सर्वप्रथम विभाग के प्रमुख का नाम ही उजागर करना होगा.

    कोरोना पॉजिटिव अधिकारी के हस्ताक्षर

    • पांडे ने आरोप लगाया था कि स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सवई कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और 27 अगस्त 2020 से 26 अक्टूबर तक अवकाश में थे लेकिन उनके हस्ताक्षर अनेक कागजातों, प्रस्तावों व ऑर्डर पर हैं. 
    • सवई जब कोरोना पॉजिटिव थे तो कौन उनके पास फाइल लेकर हस्ताक्षर करवाने जाता था या फिर वे पॉजिटिव रहते हुए कार्यालय आकर हस्ताक्षर करते थे या कहीं हस्ताक्षर फर्जी तो नहीं हैं. 
    •  कोविड काल में जो केन्द्र व राज्य सरकार से अनुदान मिला उसे केवल उसी आपदा के लिए खर्च किया जा सकता है लेकिन अधिकारियों ने उस निधि से कुत्तों के काटने पर लगने वाला इंजेक्शन भी खरीदी की है और विभाग ने उसका बिल का भुगतान भी कर दिया. यह आपदा निधि का दुरुपयोग है.