टोक्योवासियों को सायोनारा, सोना समेट लिया सारा अब पेरिस ने पुकारा

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    पड़ोसी ने हमसे कहा,‘‘निशानेबाज, आपने गीत सुना होगा- जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा, वो भारत देश है मेरा. टोक्यो पैरालम्पिक में हमारे खिलाड़ी जीवट के शिखर पर जा पहुंचे. इस 13 दिन के खेल कुंभ समापन तक भारत ने 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रांज इस तरह कुल 19 मेडल जीत लिए. जो काम सही-सलामत हाथ-पैर वाले नहीं कर पाते, वह कौशल हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने दिखाया और अपने आत्मबल व हुनर से सभी को चकित कर दिया. हमारे खिलाड़ियों ने जिस तरह 5 स्वर्ण पदक जीते, उसे देखते हुए हमें वो गीत भी याद आ रहा है- सोना ले जा रे, चांदी ले जा रे, दिल कैसे दे दूंगी जोगी कि बड़ी बदनामी होगी!’’ 

    हमने कहा, ‘‘जहां इतनी नेकनामी या प्रसिद्धि मिली है, वहां बदनामी की बात ही नहीं उठती. अब ये खिलाड़ी टोक्योवासियों को अलविदा या सायोनारा कहकर स्वदेश लौटेंगे और फिर 4 वर्ष बाद होने वाले पेरिस पैरालम्पिक की तैयारी करेंगे. उस वक्त हर किसी के दिल में यह गीत गूंजेगा- ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा, हमारे जैसा दिल कहां मिलेगा, आओ तुमको दिखलाता हूं पेरिस की ये रंगी शाम, एन ईवनिंग इन पेरिस.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारे खिलाड़ियों ने शूटिंग, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, हाई जम्प, डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो और तीरंदाजी में अपना हुनर या कौशल दुनिया को दिखा दिया. विश्व की 15 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में दिव्यांग है. पैरालम्पिक उनका हौसला बढ़ाते हैं और प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करते हैं. ये खिलाड़ी अपनी शारीरिक कमी के बावजूद ऐसे रोल मॉडल बन गए हैं जिन्होंने हर बाधा को पार कर दृढ़संकल्प से सफलता पाई. 53 वर्षों के इतिहास में हमने अब तक 31 पदक जीते जिनमें से सर्वाधिक 19 मेडल इसी साल जीते. बढ़िया ट्रेनिंग हो तो अगली बार इससे भी बेहतर नतीजे सामने आएंगे.’’