नर्सों की मांगों की पूर्ति में अड़ंगा, सत्ता परिवर्तन से करना पड़ सकता है इंतजार

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    नागपुर. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अब सभी की नजरें कैबिनेट विस्तार पर लगी हैं. कैबिनेट विस्तार के बाद ही विभागों का बंटवारा होगा. इस बीच पिछले महीनों से आंदोलन करने वाले संगठनों की चिंता बढ़ गई है. राज्यभर के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत नर्सों द्वारा मई-जून में आंदोलन किया गया था. प्रशासन ने 45 दिनों के भीतर सभी मांगों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था लेकिन डेट लाइन करीब आने के बाद भी कोई हलचल नहीं होने से नर्सों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. 

    सरल सेवा भर्ती, प्रशासकीय तबादलों पर रोक, विनती बदली करने, निजीकरण नहीं करने, रिक्त पद भरने जैसी तमाम मांगों को लेकर राज्यभर में नर्सों ने हड़ताल की थी. हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह लड़खड़ा गई थी. करीब सप्ताहभर बाद वैद्यकीय शिक्षा मंत्री ने संगठन को चर्चा के लिए बुलाया था और 45 दिन के भीतर मांगों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था. इसके बाद ही नर्सें काम पर लौटी थीं. वैद्यकीय शिक्षा मंत्री द्वारा दी गई डेट लाइन अब करीब आ गई है लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. 

    … तो फिर आंदोलन 

    महाराष्ट्र राज्य परिचारिका संगठन के नागपुर सचिव जुल्फिकार अली ने बताया कि मंत्रालय स्तर पर मांगों के लिए सतत रूप से फॉलोअप किया जा रहा है लेकिन संगठन की नजर नये वैद्यकीय शिक्षा मंत्री पर लगी हुई है. नई सरकार की प्राथमिकताएं क्या होती हैं, यह तो बाद में ही पता चलेगा. यही वजह है कि नर्सें अब भी अपनी मांगों को लेकर आशंकित हैं. विभाग को जैसे ही नये मंत्री मिलेंगे उन तक मांगों के लिए फॉलोअप किया जाएगा. उम्मीद है कि नई सरकार नर्सों की मांगों पर कार्यवाही करेगी. यदि आश्वासनों की पूर्ति में देरी की गई तो फिर आंदोलन के अलावा और कोई उपाय नहीं रह जाता. 

    रिक्त पद भी बड़ी समस्या 

    राज्यभर के मेडिकल कॉलेजों में नर्सों के खाली पद भी बड़ी समस्या बने हुए हैं. अकेले शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में नर्सों के कुल मंजूर पदों में से करीब 200 पद खाली हैं. मंजूर पद भी काफी पुराने हैं जबकि नये-नये विभाग बनते जा रहे हैं. इस हालत में सरकार से उम्मीद लगी है कि खाली पदों को भरने के बारे में भी गंभीरता से विचार किया जाएगा.