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    बर्मिंघम: विश्व कप में लचर प्रदर्शन के गम को भुलाते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम राष्ट्रमंडल खेलों में बृहस्पतिवार को घाना के खिलाफ अपने अभियान की शुरूआत बड़े अंतर से जीत के साथ करना चाहेगी। भारतीय टीम को पूल ए में मेजबान इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स, घाना के साथ रखा गया है जबकि आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और कीनिया पूल बी में हैं। 

    पुरूष टीम की तरह भारतीय महिला टीम भी गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों से खाली हाथ लौटी थी। कांस्य पदक के प्लेआफ मुकाबले में इंग्लैंड ने उसे 6 . 0 से हराया था। हाल ही में स्पेन और नीदरलैंड में हुए विश्व कप में भारतीय टीम निराशाजनक नौवे स्थान पर रही थी। कोच यानेके शॉपमैन की टीम यह साबित करना चाहेगी कि इन नतीजों के बावजूद उनकी टीम इससे कहीं बेहतर है। वे यह भी साबित करना चाहेंगे कि तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाला उनका ऐतिहासिक प्रदर्शन कोई तुक्का नहीं था। 

    भारतीय महिला टीम राष्ट्रमंडल खेलों में 16 साल का पदक का इंतजार भी खत्म करना चाहेगी। भारत ने आखिरी बार 2006 में महिला हॉकी में रजत पदक जीता था। राष्ट्रमंडल खेलों में 1998 में महिला हॉकी के शामिल होने के बाद से भारत ने 2002 में मैनचेस्टर में स्वर्ण पदक जीता था।  ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के अलावा भारतीय टीम इस सत्र में प्रो लीग में पदार्पण करते हुए तीसरे स्थान पर रही थी।

     

    नौवीं रैंकिंग वाली भारतीय टीम को यहां पदक जीतने के लिये दुनिया की तीसरे नंबर की टीम आस्ट्रेलिया, पांचवीं रैंकिंग वाली इंग्लैंड और आठवीं रैंकिंग वाली न्यूजीलैंड से पार पाना होगा।  पिछली बार न्यूजीलैंड ने आस्ट्रेलिया को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। आस्ट्रेलिया ने अब तक राष्ट्रमंडल महिला हॉकी में चार स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है। भारत को पूल के शुरूआती मैच में दुनिया की 30वें नंबर की टीम घाना और शनिवार को 24वें नंबर की टीम वेल्स से खेलना है। 

    सविता पूनिया की अगुवाई वाली टीम के सामने असल चुनौती दो अगस्त को इंग्लैंड के रूप में होगी। इसके बाद आखिरी पूल मैच में 15वीं रैंकिंग वाली कनाडा टीम से खेलना है।  हर पूल से दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी। पूल ए से भारत और इंग्लैंड प्रबल दावेदार है बशर्ते कोई उलटफेर नहीं हो जाये। विश्व कप में हालांकि भारतीय टीम की कई कमजोर कड़ियां सामने आई जिनमें सुधार करना होगा। इनमें पेनल्टी कॉर्नर सबसे बड़ी कमजोरी बनी हुई है। भारतीय टीम पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में अक्सर नाकाम रही है। पूल ए के दूसरे मैच में कनाडा का सामना वेल्स से होगा। (एजेंसी)