जंगली सुअर व बंदर कर रहे सब्जी व धान फसल की बर्बादी, वन विभाग नही दे रहा ध्यान

    Loading

    गोंदिया.  आए दिन ग्रामीण क्षेत्र के अनेक गांवों में बंदरों व सुअरों का आतंक बढ़ने से खेती करना मुश्किल होते जा रहा है. जंगली जानवर किसानों की सालभर की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. तहसील परिसर के गांवों में बंदरों व जंगली सुअरों का आतंक काफी बढ़ गया है. जानवर किसानों द्वारा उगाई गई सब्जी और धान फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बंदर कई बार घर और घर की छतों में आकर उत्पात मचा रहे हैं.

    ग्रामीण जहां बाजार से महंगा बीज खरीद कर सब्जी उगाते हैं, लेकिन ज्यों ही सब्जी तैयार होती है सुअर और बंदर उसे नष्ट कर देते हैं. ऐसे में कई बार उन्हें बीज की लागत भी नहीं मिल पाती है. जंगली सुअरों द्वारा कृषि-बागवानी को तहस-नहस करने की घटनाएं अब आम हैं. कभी-कभार जंगली सुअरों द्वारा लोगों को जान से मारने अथवा घायल करने की जानकारी भी मिलती हैं.

    ये घटनाएं जंगलों से घिरे उन ग्रामों में होती हैं, जहां ये सुअर झाड़ियों में छुपे रहते हैं. रात होते ही वे फसल, साख -सब्जी समेटने निकल पड़ते हैं. इसे रोकने की हिम्मत किसी में नहीं क्योंकि अपने प्राण सब को प्रिय हैं. प्रातः अपना उजड़ा खेत देख कर किसान अपना सिर पीट लेता है. 

    साल भर की मेहनत पर फेर रहे पानी 

    किसान हर एक मौसम में अपनी फसल लगाने के समय से ही योजना बनाने लगते हैं, जबकि कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो योजना बनाने में बहुत यकीन नहीं रखते हैं. फिर भी, वे योजना बनाएं या न बनाएं, अपनी फसलों से उम्मीदें तो लगाकर रखते ही हैं ऐसे में अपनी उम्मीदों को मूर्त रूप में लाने में उनके सामने बहुत सारी मुश्किलें और चुनौतियां आती हैं जो उनके उत्पादन और सफलता पर लगातार प्रश्न करते हैं.

    जब हम किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं, उस समय में यदि किसान जंगली जानवरों से अपनी फसलें ही नहीं बचा पाएंगे तो आय का प्रश्न तो बहुत पीछे चला जाता है. सबसे पहले तो बात उस प्रबंधन की होनी चाहिए, जिससे जो भी, जैसी भी फसल हो वो कटाई होने तक बची तो रहे. जब लागत निकलेगी तब तो हम आय के बारे में सोच पाएंगे. लेकिन इन जानवरों के उपद्रव के कारण साल भर की गई मेहनत पर पानी फिर रहा है.

    खेतों में बैठे रहते हैं जानवर 

    क्षेत्र में खेतों के आसपास तालाब व झाड़ियां होने के कारण जंगली सूअर उसे पनाह समझकर ठहर जाते हैं. भोजन व पानी के तलाश में गांवों की ओर आ जाते हैं. उस दौरान जो सामने आ जाए, उस पर हमला कर देते है . क्षेत्र के गांवों में धान की फसलें ली जाती है. किसानों के खेत में लगी खरीफ धान की फसल को इन दिनों जंगली सूअर नुकसान पहुंचा रहे हैं. शाम होते ही सूअरों के झुंड खेतों की ओर पहुंचते हैं और खेत की धान फसल को तहस नहस कर देते है.  ग्रामीणों के अनुसार नाले की झाड़ी में जंगली सूअर छिपे रहते हैं, जो रात में खेतों व गांव में आकर उत्पात मचाते हैं. सुबह होते ही नाले की तरफ चले जाते हैं. इससे किसान काफी परेशान हैं. 

    बंदरों की उछलकुद से ग्रामीण परेशान                                                                   

     ग्रामीण बंदरों की उछलकूद से परेशान हैं. बंदरों के झुंड रोजाना जंगल से उतरकर गांवों की रिहाइसी बस्ती में घुसकर धमाचौकड़ी मचाने से नहीं चूकते. अब चूंकि उनके आहार के लिए खाने की चीजों के तैयार होने का समय आ गया है, ऐसे में तो उनका आतंक और ही बढ़ गया है. जो खेतों और बाड़ी में उक्त चीजों को कच्चे में ही नोचकर चट करते देखे जा रहे हैं, और जरा सी आहट पर ग्रामिणों की खपरैल छतों पर चढ़कर उछलकूद मचाते हुए दौड़ लगा देते हैं और ग्रामीण अपनी आंखों के सामने अपने नुकसान को देखते रह जाते हैं.

    इन बंदरों के द्वारा खपरैल मकानों में इतना आतंक मचाया गया है  कि यदि जरा सी भी बारिश हो जाए तो शायद ही किसी गरीब की खपरैल छत से पानी घर के अंदर प्रवेश न करें. वहीं किसान भी अब इन दिनों तैयार हो रही फसल को इनके द्वारा नुकसान न पहुंचाएं जाने के जुगाड़ में तरह-तरह के विकल्प अपनाने विवश देखने मिलते हैं.