नई दिल्ली. दिल्ली में कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) के मामले में शनिवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (यूएएच) के सदस्य खालिद सैफी (Khalid Saifi) को आरोप मुक्त कर दिया है।
आरोप मुक्त करने का आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने पारित किया है। उमर खालिद और खालिद सैफी के खिलाफ खजूरी खास थाने में 2020 में मुकदमा दर्ज किया गया था।
Delhi's Karkardooma Court discharges Umar Khalid and Khalid Saifi in a riot-related case in February 2020.
— ANI (@ANI) December 3, 2022
इससे पहले, 18 अक्टूबर को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक बड़े साजिश मामले में उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि 24 मार्च को शहर की कड़कड़डूमा कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने के बाद उमर खालिद ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। उसे 13 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है।
उमर खालिद, शारजील इमाम और कई अन्य लोगों पर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित रूप से फरवरी 2020 के दंगों के “मास्टरमाइंड” होने का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। खालिद के अलावा, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य पर भी मामले में कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।
25 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की अंतरिम जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि उसकी रिहाई से सामाजिक अशांति फैल सकती है। उमर खालिद ने 28 दिसंबर को अपनी बहन की शादी के लिए दो सप्ताह की अंतरिम जमानत मांगी थी।
दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में उमर खालिद की अंतरिम जमानत याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थी।