मानसून आगाज: कर्ज के किसानों की त्राहिमाम, बैंकों में किसानों की कतारें

  • काट रहे चक्कर, बैंकों में पैसा नही
  • बाजार में बीजों की कमी, किसानों की बढी चिंता,
  • बोआई कैसे करे, मृग की बुआई होती है फायदेमंद

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वर्धा. जिले में मानसून पूर्व बारिश ने जोरदार दस्तक दी है. वही शीघ्र मानसून भी आने की संभावना जताई जा रही है. जिससे बैंकों में कृषिकर्ज के लिए किसानों की तोबा भीड उमडने से लम्बी कतारे लगी है. परिणाम स्वरुप भीड बढने से सोशल डिस्टंसिंग का उल्लंघन हो रहा है.

कोरोना संक्रमण से पूरा देश लॉकडाऊन होने से जनजीवन प्रभावित हो गया है. एक ओर संचारबंदी तो दूसरी ओर खरीफ मौसम इन दोनों के बिच में किसान फंस गया है. खरीफ का मौसम नजदीक आ गया है. लेकिन अभी भी गत वर्ष का कृषि माल किसानों के घरों में ही पडा हुआ है. जिसमें कपास, सोयाबीन, चना, तुअर के ढेर किसानों के घर में लगे है. कोरोना संकट के कारण दो माह तक खरीदी बंद रही. अब खरीदी शुरु तो हुई परंतु धिमी गति के कारण अनेकों का नंबर तक नही आ रहा है. परिणाम स्वरुप कपास, तुअर रखे रखे घर में ही खराब हो रही है. बारिश शुरु होने से मंडी में लाया कपास तक भीग गया है. हाथ में कुछ भी नही होने से किसानों की पूरी उम्मीद फसल कर्ज पर टिकी हुई है. ऐसे में मानसून पूर्व बारिश ने भी दस्तक दी है.

जिले भर में गत दो दिनो से बारिश जारी है. वही मानसून भी जल्द ही आने की संभावना जताई जा रहा है. जिस कारण अब किसान फसल कर्ज के लिए बैंक में पहुंच रहे है. जिससे बैंकों में किसानों की तोबा भीड बढती जा रही है. शहर सहित जिलेभर की सभी बैंकों के सामने लंबी कतारे देखी जा रही है. अगर फसल कर्ज मिलता है तो ही खरीफ की बुआई करना संभव है. परंतु बढती भीड के कारण व अनेक जटील प्रक्रिया के चलते किसानों की चिंता बढ गई है.

आर्थिक आवक रुकी
गत वर्ष का कपास सहित अन्य कृषि माल अभी भी बेचा नही गया है. उसमें कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाऊन से आर्थिक आवक रुकी हुई है. जिस कारण किसानों पर संकट आन पडा है. जिससे किसान बैंकों में भीड कर रहे है.

सोशल डिस्टंसिंग की उड रही धज्जियां
बैंकों में किसानों की भीड बढने के कारण सोशल डिस्टंसिंग की पूरी तरह से धज्जियां उड रही है. बैंकों के सामने लंबी- लंबी कतारे लगी है. बैंक प्रबंधन द्वारा पंडाल की व्यवस्था की गई है. परंतु किसानों की संख्या अधिक होने से पंडाल भी छोटे पड गए है. ऐसे में धूप, बारिश से बचने के लिए नियमों का उल्लंघन हो रहा है.

बैंक के समय में बदलाव से बढी परेशानी
एक ओर कोरोना का संकट तो दूसरी ओर खरीफ की बुआई का. ऐसे दो  चक्रव्यूह में किसान फंसा हुआ है. इस समस्या को बढाते हुए जिला प्रशासन ने बैंकों के समय में भी बदलाव कर दिया है. सुबह 8 से 1 बजे तक ही बैंक शुरु रहने से किसानों की आफत हो रही है. बैंक के समय में बदलाव की मांग किसान कर रहे है.

मात्र 37 करोड का कर्ज वितरित
जिले में खरीफ फसल कर्ज के लिए 1 हजार 293 करोड का लक्ष्य दिया गया है. मात्र 3 हजार 160 किसानों को 37 करोड रुपए का कर्ज बांटा गया है. हेडक्वार्टर से जीआर नही आने का कारण बताकर अनेकों को कर्ज नकारा जा रहा है.

तीन-चार दिनों में हल होगी समस्या-गौतम वालदे
जिला उपप्रबंधक गौतम वालदे से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि, कर्ज वितरण संबंध में हमे मुख्यालय से आदेश नही मिला है. जिन किसानों को कर्जमाफी मिली है. उन्हे नया फसल कर्ज दें तथा जिन किसानों के नाम सूची में है, उन्हें भी फसल कर्ज मुहैय्या कराए, ऐसी सूचना हमें मिली है. लेकिन आदेश नही मिला है. अभी प्रोसेस जारी होकर चार दिनों में समस्या हल होकर कर्जमाफी की गति बढाई जाएगी.