नासिक : पिछले कुछ दिनों से वातावरण में हो रहे बदलाव और नए आए विषाणु के प्रकोप के कारण शहर-जिले में सर्दी-खांसी (Cold-Cough), बुखार-सर्दी (Fever-Cold) के मरीजों (Patients) की संख्या में वृद्धि हुई है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इस संबंध में वातावरण में हो रहे प्रतिकूल परिवर्तन के कारण बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी बुखार-सर्दी और सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं, ऐसे में मरीजों को तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
पिछले दो सप्ताह में जलवायु में आए बदलाव का सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ा है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। गले में खराश से शुरू होकर सर्दी-बुखार, सर्दी-खांसी होती है। इस तरह की परेशानी होने पर मरीज को बिना विलंब किए डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय पर उपचार कराया गया तो वायरल का संक्रमण तेजी से नहीं होता।
सर्दी और खांसी के बाद बुखार, गले में खराश, ये शुरुआती लक्षण आमतौर पर उपचार शुरू करने के चार दिनों तक रहते हैं। साथ ही बाद में हल्का बुखार भी रह सकता है। इसी तरह, खांसी एक सप्ताह तक रहने की संभावना है, इसलिए स्वास्थ्य व्यवस्था ने मरीजों से इस अवधि में घर से बाहर निकलने से बचने, भीड़ में न जाने, घर से बाहर निकलने पर मुंह पर मास्क का लगाना बहुत जरूरी है। कोरोना महामारी के समय उपयोग में लाए गए पंचसूत्र को उपयोग में लाने पर जोर दिया गया।
सर्दी-बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण महसूस होते ही मेडिकल स्टोर से गोलियां लेने की बजाय डॉक्टर के पास जाएं। एक घर में सभी को संक्रमित कर देता है, इससे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन इसकी जरूरत नहीं है। मरीज घर से बाहर जाने से बचना चाहिए और पूरी तरह से ठीक होने तक भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- डॉ. प्रतीक भामरे, एमडी, मेडिसिन।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण वायरल संक्रमण की संख्या में वृद्धि हुई है। मरीज बिना घबराए कोरोना के पंचसूत्र का उपयोग करें। भीड़ से बचें, मास्क का उपयोग करें, हाथ धोएं, संतुलित आहार लें और पर्याप्त नींद लें। मधुमेह और रक्तचाप के रोगी विशेष ध्यान रखें।
- डॉ. अनंत पवार, मंडल चिकित्सा पदाधिकारी, जिला अस्पताल।