RBI Governor Saktikant
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नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था क्षेत्र (Economy) से मिली बड़ी खबर के अनुसार आज यानी 8 फरवरी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग खत्म होगी। इसके बाद आज सुबह 10 बजे RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) MPC मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देने मुखातिब होंगे।

इस बाबत अर्थव्यवस्था जानकारों की मानें तो इस मीटिंग में भी RBI रेपो रेट यानी इंटरेस्ट रेट में कोई भी नए बदलाव की उम्मीद नहीं है। फिलहाल रेपो रेट 6.50% पर बनी हुई है। हालाँकि RBI ने इससे पहले दिसंबर हुई बैठक में ब्याज दरों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।

बीते वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% तक बढ़ी

जानकारी दें कि देश की मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। बीते वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने फिर इसके बाद 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।

इसके बाद फिर बीते 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा हुआ था। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच चुकी थी ।

इस बाद सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गईं थीं। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।

क्या होता है रेपो रेट 

जिस तरह ‘हम’ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक तय ब्‍याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह पब्लिक और कमर्शियल बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से जिस ब्‍याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिलती है और इसके बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।