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मुंबई: अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक नाम के दो बैंक फेल हो गए हैं और कई अन्य बैंक अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस भी संकट में है। अब इसका असर भारत में भी महसूस किया जा रहा है। इससे भारत के 245 अरब डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपये) के आईटी बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (IT-BPM) इंडस्ट्री के भविष्य को खतरा है। एनालिस्ट का कहना है कि इंडस्ट्री का 41%  रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंस सेवाओं और बीमा (BFSI) क्षेत्र से आता है। दुनिया के प्रमुख बैंकों के पतन से क्षेत्र के रेवेन्यू पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ये बैंक न केवल अपने मौजूदा बजट में कटौती कर सकते हैं बल्कि भविष्य के सौदों को भी बंद कर सकते हैं।

टीसीएस और इंफोसिस पर असर

एनालिस्ट का कहना है कि अगर बैंकिंग संकट गहराता है तो इसका सबसे ज्यादा असर टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और एलटीआईएम इंडट्री पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से ज्यादातर कंपनियों का कारोबार अमेरिकी संस्थानों के पास है। एचएफएस रिसर्च के संस्थापक फिल फरश का कहना है कि अमेरिका में क्षेत्रीय बैंकों की स्थिति गंभीर है। इससे उन्हें सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों में खलबली मच गई है। इनमें टीसीएस और इंफोसिस शामिल हैं।

 आईटी इंडस्ट्री में दहशत का माहौल

फर्श ने कहा, मैंने इस हफ्ते एक आईटी फर्म के सीईओ से बात की। उन्होंने कहा कि पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में 41% रेवेन्यू बीएफएसआई से आया। जबकि Wipro का 35% रेवेन्यू BFSI से आता है। इसी तरह देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस का 31.5%, इंफोसिस का 29.3% और एचसीएल का 20% रेवेन्यू इसी सेक्टर से आता है। साथ ही टेक महिंद्रा के रेवेन्यू में बीएफएसआई की हिस्सेदारी 16% है।