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    मुंबई: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते सबसे ज्यादा महंगाई (Inflation) पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्य तेलों में आई है क्योंकि भारत (India) दोनों ही प्रकार के तेलों में अपनी घरेलू जरूरत के लिए आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर है। जहां क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) में आयात निर्भरता 85% तक है, वहीं खाद्य तेलों में 65% तक है। इसलिए पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) और कुकिंग गैस (LPG) के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं।

     हालांकि खाद्य तेलों के दाम होली (Holi) पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद मांग घटने से अब 5 से 7% नीचे आ चुके हैं, परंतु युद्ध (War) जारी रहने से अप्रैल में फिर तेजी आने की आशंका है।

    उत्पादक देशों ने बढ़ाया निर्यात टैक्स

    तेल व्यापारियों का कहना है कि युद्ध के कारण सनफ्लावर तेल की उपलब्धता पर प्रश्नचिन्ह पैदा हो गए हैं, जिसके बाद सोया और पाम तेल की मांग बढ़ गई है। ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन की फसल काफी कमजोर है और इंडोनेशिया और अर्जेंटीना ने तेल निर्यात नियमों को और कठोर बना दिया है। साथ ही अर्जेंटीना ने निर्यात टैक्स 31% से बढ़ाकर 33% कर दिया गया है। इसी तरह खाद्य तेलों के बड़े उत्पादक देशों ने पिछले डेढ़ महीने में निर्यात टैक्स बढ़ा दिए हैं। जिससे आयात और महंगा हो गया है। अब विश्व भर की निगाहें अमेरिकी सोयाबीन और सोया तेल की ओर लगी हुई है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन के तेल में बड़ी तेजी दिखाई दे रही है।

    16 रुपए घटा पाम तेल

    होली के बाद मांग घटने से कीमतों में गिरावट आई है। मुंबई में होली पर 1,640 रुपए की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद सोया तेल अब 1,490 रुपए प्रति 10 किलो है। पाम तेल भी 1,630 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर बिकने के बाद अब 1470 रुपए है। सोया तेल में 15 रुपए और पाम तेल में 16 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है। जबकि सनफ्लावर तेल ज्यादा नहीं घटा है। यह 1,780 रुपए की ऐतिहासिक ऊंचाई पर बिकने के बाद अब 1,700 रुपए प्रति 10 किलो है। ये तीनों तेल ही सबसे ज्यादा आयात होते हैं। सरसों तेल में भी मजबूती बनी हुई है।

    युद्ध पर सबकी निगाहें 

    खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि पिछले माह युद्ध शुरू होने के बाद जैसे ही तेल कीमतों में तेजी शुरू हुई, जिन ग्राहकों की क्षमता थी, उन्होंने अपनी जरूरत से ज्यादा खरीद कर कुछ दिनों का स्टॉक कर लिया है। होली तक तेजी थी, लेकिन होली के बाद मांग कमजोर पड़ने से कीमतों में 5 से 7% की गिरावट आई और भाव स्थिर हो गए हैं, लेकिन आयात कम होने से माल की शॉर्टेज चल रही है और यदि युद्ध जल्द खत्म नहीं हुआ तो गुड़ी पड़वा-नवरात्रि पर तेजी भड़क सकती है। कीमतों पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है, लेकिन सप्लाई नहीं बढ़ने से कीमतों पर अंकुश लाना मुश्किल हो रहा है।

    सनफ्लावर तेल आयात में भारी गिरावट

    भारत में सनफ्लावर तेल का आयात अप्रैल तक मात्र 85 हजार टन होने का अनुमान है, जो पिछले महीने से लगभग 2 लाख टन कम है। घरेलू बाजार में सनफ्लावर तेल का विकल्प मूंगफली तेल को छोड़कर कोई नहीं है। इसलिए मूंगफली तेल में भी तेजी का रूख है। सरसों तेल में मजबूती बनी हुई है।