पाकिस्तानी सिख गेंदबाज का सपना, भारत के खिलाफ है हीरो बनना

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पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में आज तक कोई सिख खिलाड़ी भारत के खिलाफ नहीं खेला, लेकिन एक नौजवान सिख पाकिस्तानी तेज गेंदबाज महिंदर पाल सिंह की चाहत है, उनका का सपना है कि वह सिख समुदाय के पहले खिलाड़ी के तौर पर अपने देश पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रतिनिधित्व करें. यही नहीं, क्रिकेट के मैदान में पाकिस्तान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत के खिलाफ खेलते हुए स्टार बनें. 

महिंदरपाल सिंह ने ‘पाकपैशन डॉट नेट’ से कहा की, “क्रिकेट के किसी भी स्तर पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के लिए खेलना मेरे लिए बहुत मायने रखता है. अगरआप किसी भी क्रिकेटर से पूछें, तो वह कहेगा कि वह हाई प्रेशर वाले मैचों में खेलना चाहता है, जहां दुनिया उसे देख रही है. भारत बनाम पाकिस्तान हमेशा एक ख़ास मौका होता है और मैं अपने क्रिकेटिंग करियर में भविष्य में किसी मौके पर ऐसे अवसर का हिस्सा बनना पसंद करूंगा. 

भारत के खिलाफ है हीरो बनने का सपना

महिंदरपाल सिंह ने आगे कहा की, “मैं एक हाई वोल्टेज मैच में हीरो कहलाना पसंद करूंगा, एक मजबूत विरोध के खिलाफ जो दुनिया भर के प्रशंसकों द्वारा देखा जा सकता है. भारत में पंजाब में मेरे रिश्तेदार हैं, मेरी चाची कई अन्य रिश्तेदारों के साथ रहती हैं, जिनसे हम वहां लगातार मिलते हैं. इसके साथ ही, भारत में मेरे बहुत सारे प्रशंसक हैं, खासकर पंजाब से, जो हमेशा मुझे शुभकामनाएं देते हैं और कहते हैं कि अगर मैं कभी पाकिस्तान के लिए खेलता हूं, तो वे मेरा और पाकिस्तान का उन मैचों में समर्थन करेंगे.”

पाकिस्तानी क्रिकेट में बदलाव से चुनौतियां बढ़ीं 

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) की तरफ से डोमेस्टिक स्ट्रक्चर को बदलने और विभागीय टीमों को बदलने का फैसला करने के बाद इस तेज गेंदबाज को नुकसान उठाना पड़ा है. बताया जाता है कि 400 से ज़्यादा खिलाड़ियों ने अपनी सोर्स ऑफ़ इनकम खो दी है. पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व घातक गेंदबाज़ वकार युनूस को आपना आदर्श मानने वाले महिंदर पाल सिंह ने कहा, “मैंने आखिरी बार 2017 में ग्रेड II खेला था, लेकिन दुर्भाग्य से कई खिलाड़ी जो विभागों के लिए खेल रहे थे, उन्हें वर्तमान टीमों के साथ कॉन्ट्रैक्ट या स्थान ऑफर नहीं किया गया. कुछ खिलाड़ी जो नियमित आधार पर इन विभागों के लिए खेल रहे थे, उन्हें मौजूदा घरेलू टीमों के लिए ऑफर किया गया.” 

सिख होने के नाते सुनने पड़ते हैं ताने

महिंदरपाल सिंह बताते हैं कि, “जैसा कि मैंने केवल अपने विभाग के लिए, जिला स्तर या ग्रेड II क्रिकेट में कभी-कभी मैच खेला था, तो मुझे मौजूदा घरेलू ढांचे में कोई चांस नहीं मिलता. मैं अंडर -16 या अंडर -17 या अंडर -19 स्तरों से नहीं आया था, इसलिए लोग वाकई में नहीं जानते थे कि मैं कौन था. इसलिए मुझे मौजूदा डोमेस्टिक किसी भी टीम के लिए नहीं चुना गया है.” उन्होंने कहा कि, सिख समुदाय से आने की वजह से उन्हें भेदभाव का सामना भी करना पड़ा है, लेकिन वे इसे अपनी बेहतरी के लिए लेते हैं. महिपाल ने कहा, “मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा है और कुछ बहुत कठिन दिन आए हैं, लेकिन मैं अपने सपने को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हूं. मुझे कई स्तर पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है और भद्दे कमेंट भी आए, लेकिन हर जगह अच्छे और बुरे लोग हैं .”