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    महाराष्ट्र के 2021-22 के (Maharashtra Budget 2021) बजट से यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इसमें महाविकास आघाड़ी में शामिल तीनों पार्टियों को खुश करने का प्रयास किया गया है और खूब रेवड़ी बोरी गई है. शिवसेना (Shiv Sena)के प्रति मेहरबानी दिखाते हुए वित्त मंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) ने बाल ठाकरे स्मारक के लिए 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. पुण और पश्चिम महाराष्ट्र के लिए अधिकांश योजनाएं देकर राज्यों को संतुष्ट किया गया और प्रत्येक जिले में राजीव गांधी आईटी पार्क खोलने के लिए 300 करोड़ का प्रावधान कर तथा नेहरू सेंटर को 10 करोड़ की निधि का कांग्रेस को खुश किया गया.

    राज्य के बजट से उम्मीद थी कि इसमें टैक्स में रियायत देकर कुछ सस्ता किया जाएगा, खास तौर पर पेट्रोल-डीजल, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जहां तक किसानों के लिए किए गए प्रावधान है्, यह कभी समझ में नहीं आया सरकार उन्हें जो देती है वह उन्हें मिलता भी है या नहीं. बजट में किसानों के लिए 24 करोड़ रुपए कीमत के कामों को प्रशासनिक मान्यता दी गई है. ऐसा देखा गया है कि जब भी राकां के हाथों में बजट की चाबी आती है, विदर्भ और मराठवाडा पिछड़ जाते हैं. मुंबई-पुणे के लिए भरपूर घोषणाएं की जाती हैं और पिछड़े क्षेत्रों को अंगूठा दिखा दिया जाता है. इससे क्षेत्रीय असंतुलन फिर बिगड़ जाता है. अब भी विदर्भ, मराठवाडा के विधायक नहीं चेते तो इन क्षेत्रों में जनअसंतोष बढ़ेगा और पृथक राज्य की मांग उठेगी. पहली बार बजट में शहरी स्वास्थ्य पर फोकस किया गया है. कोरोना संकट (Coronavirus) को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के लिए 7500 करोड़ रुपए का प्रकल्प तैयार करने की घोषणा की गई है. इसमें जिला अस्पताल, ट्रामा केयर सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, तालुका स्तर पर अस्पतालों का दर्जा बढ़ाना आदि का समावेश है.

    पोस्ट कोरोना उपचार के लिए हर मेडिकल कालेज में समुपदेशन विभाग शुरु होगा. विदर्भ के लिए अमरावती में मेडिकल कालेज, मोर्शी में संतरा प्रकल्प, गोसीखुर्द प्रकल्प (Gosikhurd Project) को 1000 करोड़ रुपए, राज्य के 4 कृषि विद्यापीठ (जिनमें नागपुर का पंजाबराव कृषि विद्यापीठ शामिल है). प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. उच्च शिक्षा के लिए 1300 करोड़ रु. तय किए गए हैं. शालेय शिक्षा व क्रीड़ा के लिए 2400 करोड़ का प्रावधान है. अब सवाल उठता है कि जब सरकार ने पहले ही बताया है कि उसकी तिजोरी खाली है तो बजट की ये सारी घोषणाएं कैसे पूरी होंगी? यह तो वैसी ही स्थिति होगी कि घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने!