मुंबई: लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929; मृत्यु 6 फरवरी, 2022) ‘भारत रत्न’ से सम्मानित एक प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायिका थीं, जिनकी आवाज़ ने छह दशकों से अधिक समय तक संगीत जगत पर राज किया। उन्होंने खुद को पूरी तरह से संगीत के प्रति समर्पित कर दिया। भारत की सबसे सम्मानित गायिकाओं में से एक लता जी ने अन्य भाषाओं के गानों में भी अपनी आवाज दी है। बहुत छोटी-सी उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रखने वाली लता जी ने 13 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार गाना भी गाया। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
The voice, the aura, the simplicity and the smile…
Lives on.. pic.twitter.com/cm2QsKnLCL— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) March 28, 2022
‘गिनीज बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज
भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाए। लता मंगेशकर को 1970 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार और फिर 1972 की फिल्म परिचय के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके अलावा 1974 में वह रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनीं। लता दीदी के नाम 1974 में दुनिया में सबसे ज्यादा गाने गाने का ‘गिनीज बुक रिकॉर्ड’ दर्ज है।
फिल्मों में जान फूंक देती थी लता जी की आवाज
लता मंगेशकर ने जिस गाने को अपनी आवाज दी, उसमें एक अलग ही जादू था। ये गाने किसी को भी एक पल रुलाने और दूसरे पल हंसाने की कला जानते थे। एक समय था जब हर फिल्म में लता मंगेशकर की आवाज जरूर सुनाई देती थी। कोई भी फिल्म उनके गानों के बिना पूरी नहीं होती थी। लोग कहते थे कि उनके गाने बेजान फिल्मों में भी जान फूंक देते थे। उनकी आवाज सुनकर कभी किसी की आंखों में आंसू आ गए तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। उन्होंने खुद को पूरी तरह से संगीत के प्रति समर्पित कर दिया था और लता मंगेशकर जैसी शख्सियतें शायद ही पैदा होती हैं।
इस फिल्म के लिए गाया आखिरी गाना
लता मंगेशकर ने आखिरी बार आमिर खान की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में अपनी आवाज दी थी। उन्होंने फिल्म का क्लासिक गाना ‘लुका छुपी’ गाया। इस गाने ने मां-बेटे के रिश्ते को एक नई परिभाषा दी। आज भी लोग इस गाने के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। लता मंगेशकर का आखिरी गाना 2006 में रिलीज हुआ था। इसके अलावा लता मंगेशकर ने ‘वीर-जारा’ फिल्म के लिए कई गाने गाए। इनमें ‘तेरे लिए हम हैं जिये’, ‘ऐसा देस है मेरा’, ‘हम तो भाई जैसे हैं’, ‘दो पल रुका ख्वाबों का कारवां’ जैसे बेहतरीन गाने शामिल हैं।
लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
संगीत के अलावा लता जी को खाना बनाना और तस्वीरें खींचने का भी बहुत शौक है। लता मंगेशकर ने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसल’ (1942) में गाया था। उन्हें पहला बड़ा मौका फिल्म ‘महल’ से मिला, उनका गाना ‘आएगा आने वाला’ काफी मशहूर हुआ। 1980 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कहानी, संवाद आदि पर अधिक ध्यान देने लगीं। लता जी एकमात्र जीवित महिला गायिका हैं जिनके नाम पर पुरस्कार दिये जाते हैं। उन्होंने ‘आनंद गान बैनर’ के तहत फिल्मों का निर्माण भी किया है और उनके लिए संगीत भी तैयार किया है। लता मंगेशकर किसी भी गाने की रिकॉर्डिंग के लिए जाने से पहले हमेशा अपनी चप्पलें कमरे के बाहर उतारती थीं, वह हमेशा नंगे पैर ही गाना गाती थीं।
देश के लिए भावुक थी लता मंगेशकर
आज ही के दिन 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर ने 93 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने कई सदाबहार गाने, अनगिनत हिट और क्लासिक गाने दिए हैं। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म उद्योग में बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थीं।