
हैदराबाद : तेलुगू सिनेमा (Telugu Cinema) के मशहूर (Famous) फिल्म निर्देशक (Film Director) और दादा साहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) पुरस्कार से सम्मानित कलातपस्वी के. विश्वनाथ (Kalatapasvi K. Viswanath) का गुरुवार की रात में निधन हो गया। उन्होंने 92 साल की उम्र में हैदराबाद के एक निजी हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हॉस्पिटल में उनका उम्र संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था।
जहां वो इस दुनिया को अलविदा कह गए। आंध्र प्रदेश के रेपल्ले में जन्मे कलातपस्वी के. विश्वनाथ के निधन की खबर से इंडस्ट्री के साथ-साथ फैंस में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी है। कलातपस्वी के. विश्वनाथ का जन्म 19 फरवरी 1930 को हुआ था। उन्होंने एक साउंड कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। जिसके बाद उन्होंने ‘कामचोर’, ‘सागर संगमम’, ‘जाग उठा इंसान’, ‘शंकराभरणम’, ‘संजोग’, ‘स्वाति मुत्यम’ और ‘सप्तपदी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था।
कलातपस्वी के. विश्वनाथ ने अपने करियर में इंडस्ट्री को करीब 50 फिल्में दी थी। वो तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही तमिल और हिंदी सिनेमा के लिए भी जाने जाते थे। कलातपस्वी के. विश्वनाथ के निधन पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति पार्टी के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने शोक जताते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल के जरिए कहा कि श्री के. विश्वनाथ एक दुर्लभ निर्देशक हैं, जो अपनी अद्भुत प्रतिभा से साधारण से साधारण कहानी को भी रूपहले पर्दे की दृश्य कविता में बदल देते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि श्री विश्वनाथ ने अपनी फिल्म में भारतीय सामाजिक मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं को महत्व दिया है। उनके परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना। सीएम ने कहा कि श्री विश्वनाथ उन महानतम भारतीय निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने संगीत और साहित्य को मुख्य विषय के रूप में इस्तेमाल किया है और मानवीय रिश्तों में हमेशा पैदा होने वाले अंतर्विरोधों को बेहद रचनात्मक और संवेदनशील तरीके से देखा है। उन्होंने आगे कहा कि के. विश्वनाथ का नाम तब तक रहेगा जब तक तेलुगु सिनेमा रहेगा।