लाइफ इज गुड (Photo Credits: Instagram)
लाइफ इज गुड (Photo Credits: Instagram)

फिल्म के शुरू होने पर दर्शक को सुनहरे पर्दे पर "हृषिकेश मुखर्जी को समर्पित" कैप्शन देखने को मिल जाए तो एक लार्जर देन लाइफ सिनेमा की उम्मीद की जाती है.

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    कास्ट: जैकी श्रॉफरजीत कपूरमोहन कपूरअंकिता श्रीवास्तवदर्शन जरीवालासुनीता सैन गुप्तानकुल रोशन सहदेवसानंद वर्मा

    निर्देशक: अनंत महादेवन

    निर्माता: आनंद शुक्ला

    म्यूजिक: अभिषेक राय

    रनटाइम: 100 मिनट

    रेटिंग्स: 3.5 स्टार्स 

    कहानी: निर्देशक अनंत नारायण की यह फिल्म कहानीअभिनयसंगीत और प्रस्तुति से एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैजहां आप कहते हैं सचमुच लाइफ इज गुड। सुरम्य पहाड़ियों के बीच छोटे से क़स्बे की कहानी है यह  रामेश्वर  (जैकी श्रॉफ़) और मिष्टी के बीच भावनात्मक लगाव की कहानी है। उत्तर भारत की सुरम्य पहाड़ियों में एक गंभीरशांत जीवन के साथरामेश्वर धीरे-धीरे अपनी दुनिया को अपनी उंगलियों से फिसलता हुआ महसूस कर रहे हैं। रामेश्वर अपनी मां को खो चुका है जिसे वह सबसे अधिक प्यार करता था। मां की मौत ने उसके जीवन को तहस-नहस कर दिया और उसे पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया। वह मां के साये को महसूस करता है मानो कोई साया उसके पीछे-पीछे चल रहा हो। मां की यादों और अपने एकांत के साथ वह आगे बढ़ता हैं। रामेश्वर का बॉस (रजीत कपूर) उसे समझाता है कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है पत्नी या बच्चों के बिनायह रामेश्वर पर निर्भर है कि वह अपनी आगामी जिंदगी का सामना कैसे करे। या फिर एक नयी जिंदगी की शुरुवात करेरामेश्वर पर डिप्रेशन हावी हो जाता है। उसे ऐसा लगता है जैसे उसके पास जीने के लिए कुछ भी नहीं हैजैसे वह जीवन के चक्रव्यूह में खो गया हो। वह इसे पूरी तरह से समाप्त करने पर विचार करता हैलेकिन ईश्वर ने रामेश्वर  के लिए लिए कुछ और तय किया है। छह साल की बच्ची मिष्टी रामेश्वर के जीवन में आती है। मिष्टी रामेश्वर को जिंदगी की नयी राह पर दिखाती हैं लेकिन मिष्टी को लेने उसके पिता मोहन कपूर आते हैं जिन्होंने उसे जन्म के बाद ही छोड़ दिया था मिष्टी जाना नहीं चाहती रामेश्वर उसकी मदद करता है।

    निर्देशक अनंत महादेवन संवेदनशील विषय पर अच्छी फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं। इस बार लाइफ इज गुड के ज़रिए एक बार फिर उन्होंने दर्शकों के लिए एक अच्छी फिल्म प्रस्तुत की हैं। फिल्म की कहानी में घटनाओं से ज़्यादा भावनात्मक दृश्य हैं जिसे पर्दे पर साकार करने में अनंत महादेवन सफल रहते हैं। कहानी के अनुसार किरदार का चयन इस फिल्म  को पर्दे पर लाने में बहुत मदद करता हैं। एक बेहद गंभीर विषय पर फिल्म बनाते हुए वह बीच बीच में दर्शकों को गुदगुदाया हैं और कामेडी के लिए उन्हें किसी फिल्मी मसाले की जरूरत नहीं पड़ती हैं। जैकी श्रॉफ को हमने इस तरह के किरदार में पहली बार देखा हैं रामेश्वर को पर्दे पर सहज तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

    अभिनय: यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जैकी श्रॉफ़ के करियर की सबसे अच्छी फिल्मों में से एक है। उनके अभिनय में विविधता है। एक निराश और हारे हुए रामेश्वर जब जिंदगी के मायने समझता हैं तो ठहराव वाली मुस्कान आ जाती है। जैकी श्रॉफ इस किरदार को बहुत ही बारीकी से पर्दे पर लेकर आते है। फिल्म के दूसरे हिस्से में जब एक बार फिर दुःख का सामना उन्हें करना पड़ता हैं तो जीवन के इस अवसाद की गहरी रेखाएं फिर से उनके चेहरे पर आ जाती हैं। पोस्टमास्टर के किरदार में रजीत कपूर को फिल्म में जितना भी समय मिला हैं वह प्रभाव छोड़ते हैं उनके किरदार में व्यावहारिक कठोरता हैं रामेश्वर को वह समझाते हैं ‘दुनिया में सिर्फ तुम्हारी मां नहीं जो नहीं रही’। मिष्टी के किरदार में क्रमशः सानियाअनन्या और अंकिता ने स्वाभाविक अभिनय किया है। मिष्टी की मौसी के किरदार में सुनीता सेन गुप्ता भी प्रभावशाली रही हैं। फिल्म में थोड़ी देर के लिए दर्शन जरीवाला और पोस्ट ऑफिस के चपरासी के रोल में सानंद वर्मा ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है।

    फाइनल टेक: लाइफ इज गुड की कहानी हमें जिंदगी में कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने का संदेश देती है। एक निराश व्यक्ति जिसने अपनी प्यारी मां को अभी अभी खो दिया हैवह मां जो ४० वर्षीय रामेश्वर की पुरानी दुनिया थी। अब वह तन्हा हैं लेकिन जब वह सात साल की मिष्टी को देखता हैउसे लगता है कि जिंदगी में ज़्यादा दुख है। फिल्म के प्रिक्लाइमेक्स में पोस्ट मास्टर के किरदार में रजीत कपूर कहते हैं कि ‘हम जिंदगी को जिस डिग्निटी (सम्मान ) के साथ देखते हैं वैसे ही मौत को भी देखना चाहिए।’ यहीं पर फिल्म सबसे बड़े संदेश को बहुत ही साधारण शब्दों में बताने में कामयाब रहती है। बढ़िया संगीतसुरम्य पहाड़ियोंएक सधे अभिनय से सजी फिल्म लाइफ इज गुड बड़े पर्दे पर देखने वाली फिल्म है।