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अमृतसर: ऑपरेशन ब्लूस्टार (Operation Bluestar) के 39 साल पूरे होने पर कट्टरपंथी सिख संगठनों के समर्थकों तथा कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए। अकाल तख्त पर सांसद सिमरनजीत सिंह मान और उनके सहयोगी पूर्व सांसद ध्यान सिंह मंड के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के कार्यकर्ताओं ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। कट्टरपंथी सिख संगठन ‘दल खालसा’ के कार्यकर्ताओं को जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरों वाली तख्तियां हाथ में लिए और खालिस्तान समर्थक नारेबाजी करते देखा गया।

 सरकारें सिख समुदाय को मजबूत बनाने में कभी मदद नहीं करेंगी: खालिस्तानी समर्थक
खालसा के नेतृत्व में सैकड़ों सिख युवक खालिस्तानी झंडे और क्षतिग्रस्त अकाल तख्त की तस्वीरें हाथों में लिए नजर आए। अकाल तख्त के पास स्वर्ण मंदिर का परिसर खालिस्तान समर्थक नारों से गूंज उठा। ऑपरेशन ब्लूस्टार के 39 साल पूरे होने के मौके पर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अमृतसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपने संदेश में कहा कि समय आ गया है कि सिख प्रचारक व विद्वान सिख धर्म को बढ़ावा देने के लिए गांवों का दौरा करें, ताकि युवाओं को समृद्ध सिख सिद्धांतों तथा सिख इतिहास से अवगत कराया जा सके और अकाल तख्त के बैनर तले उन्हें एकजुट किया जा सके। उन्होंने मादक पदार्थ की समस्या और इसकी चपेट में आ रहे युवाओं के मद्दे पर भी बात की। सिंह ने आरोप लगाया कि सरकारें सिख समुदाय को मजबूत बनाने में कभी मदद नहीं करेंगी। 

उन्होंने कहा कि 1984 में हुई घटनाओं के बाद भी सिख कभी डरे और घबराए नहीं। सिंह ने कहा, ‘‘ बल्कि ऐसी सभी घटनाओं ने सिख समुदाय को मजबूत बनाया है और सिख न्याय पाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे तथा सच्चाई के लिए खड़े होने से कभी नहीं डरेंगे।” इस बीच, इस अवसर पर शीर्ष सिख धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने गुरु ग्रंथ साहिब के गोलियों से छलनी पवित्र ‘सरूप’ को प्रदर्शित किया।

स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को निकालने के लिए 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया था। छह जून को ऑपरेशन ब्लूस्टार खत्म हुआ था। अकाल तख्त हरमंदिर साहिब की तरफ बढ़ती सेना का जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने जमकर विरोध किया था और इस दौरान दोनों ओर से भीषण गोलीबारी हुई थी। भारी खूनखराबे के बीच अकाल तख्त को काफी नुकसान पहुंचा था। वहीं सदियों में पहली बार ऐसा हुआ कि हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नहीं हो पाया। पाठ छह से आठ जून तक नहीं हुआ था।