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हिमंत बिस्वा सरमा ने क्यों मांगी माफ़ी

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नई दिल्ली: सोशल मीडिया X पर एक ट्वीट करना असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को इतना भारी पड़ा कि बाद में उन्हें अपने पोस्ट को डिलीट कर माफ़ी भी मांगना पड़ा है। दरअसल उन्होंने लिखा था कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है। फिर क्या था इस पोस्ट पर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी नेताओं ने इसे BJP की मनुवादी विचारधारा करार दिया और इसकी घोर निंदा की।

हालांकि इस विवाद के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने बीते गुरुवार को माफी मांगते हुए कहा कि यह भगवद गीता के एक श्लोक का गलत अनुवाद हुआ है। जैसे ही मैंने गलती देखी मैंने तुरंत पोस्ट हटा दिया है। दरअसल असम एक जातिविहीन समाज की एक आदर्श तस्वीर को दर्शाता है। इस बाबत CM सरमा ने कहा है कि, “ट्वीट को अब हटा दिया गया है। अगर किसी भी व्यक्ति को ठेस पहुंची है तो मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं।”

इस बाबत उन्होंने कहा कि वह रोजाना अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हर सुबह भगवद गीता का एक श्लोक अपलोड करते रहे हैं। अब तक उन्होंने 668 श्लोक अपलोड किए हैं। जिस पोस्ट को डिलीट किया गया है उसमें भगवत गीता के श्लोक का अनुवाद करते हुए लिखा गया था, ‘खेती, गो पालक और व्यापार- ये वैश्यों के अंतर्निहित और स्वाभाविक कर्म हैं तथा ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ये तीनों वर्णों की सेवा करना शूद्र का स्वाभाविक कर्म है।’ 

वहीं इस बाबत AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के विपरीत है। यह उस दुर्भाग्यपूर्ण क्रूरता में परिलक्षित होता है जिसका असम के मुसलमानों ने पिछले कुछ सालों में सामना किया है। वहीं कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए पार्टी नेता पवन खेड़ा ने पूछा कि, क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हिमंत बिस्वा की जातिवादी टिप्पणियों से सहमत हैं। यह भी कहा गया कि, अगर दुसरे ऐसा कुछ उनसे कहेंगे तो वह अपनी पुलिस भेज देंगे। ऐसी मूर्खतापूर्ण टिप्पणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। क्या राष्ट्रपति भवन और PMO हिमंत बिस्वा की जातिवादी टिप्पणियों से सहमत हैं? यदि नहीं तो क्या कारवाई की गई है।