CJI DY Chandrachud
सीजेआई चंद्रचूड़ (PTI Photo)

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नई दिल्ली: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने सोमवार (1 जनवरी) को राम मंदिर मामले (Ayodhya Case) में फैसलों को लेकर अहम टिप्पणी  की है। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि फैसला किसने लिखा है, उसका उल्लेख नहीं होगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ”संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था।” इस संबंध में फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में फैसले में किसी न्यायाधीश के नाम का उल्लेख न करने के बारे में खुलकर बात की और कहा कि जब न्यायाधीश एक साथ बैठे, जैसा कि वे किसी घोषणा से पहले करते हैं, तो सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यह “अदालत का फैसला” होगा। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि फैसला लिखने वाले न्यायाधीश का नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।

सीजेआई ने कहा, “जब पांच न्यायाधीशों की पीठ फैसले पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठी, जैसा कि हम सभी निर्णय सुनाए जाने से पहले करते हैं, तो हम सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यह अदालत का फैसला होगा। और, इसलिए, फैसले लिखने वाले किसी भी न्यायाधीश के नाम का उल्लेख नहीं किया गया।”

उन्होंने कहा, “इस मामले में संघर्ष का एक लंबा इतिहास है, देश के इतिहास के आधार पर विविध दृष्टिकोण हैं और जो लोग पीठ का हिस्सा थे, उन्होंने फैसला किया कि यह अदालत का फैसला होगा। अदालत एक स्वर में बोलेगी और ऐसा करने के पीछे का विचार यह स्पष्ट संदेश देना था कि हम सभी न केवल अंतिम परिणाम में, बल्कि फैसले में बताए गए कारणों में भी एक साथ हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसके साथ अपना उत्तर समाप्त करूंगा।” 

अयोध्या पर SC का फैसला

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या के राम मंदिर मामले पर फैसला सुनाया था। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था।  फैसले में कहा गया था कि 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि हिंदुओं को मिलेगी। बता दें कि  अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाली बेंच में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (अब CJI), जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे। 

राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने और निर्माण की योजना बनाने के साथ संपत्ति का प्रबंधन करने का निर्देश दिया था। वहीं,  मुस्लिमों को विकल्प के तौर पर किसी अन्य स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का फैसला भी सुनाया गया था।