बचपन के दिनों में आपने यह कविता तो जरूर सुनी होगी, शायद गाकर भी सुनाया हो …’जो खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’। इस कविता की लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) है। बता दें कि, सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियित्री होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं। उन्हें देश की पहली महिला सत्याग्रही होने का गौरव प्राप्त है। उनकी 117वीं जयंति के मौके पर गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
पहली कविता सिर्फ 9 साल में हुई थी प्रकाशित
आज ही के दिन साल 1904 में सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म निहालपुर गांव में हुआ था। वह घोड़ा गाड़ी में बैठकर रोज स्कूल जाती थीं और इस दौरान भी लगातार लिखती रहती थीं। यही वजह थी कि उनकी पहली कविता सिर्फ 9 साल की उम्र में प्रभावित हुई थी। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में भागीदारी के दौरान उन्होंने अपनी कविता के जरिए दूसरों को अपने देश की संप्रभुता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। सुभद्रा के परिवार में चार बहनें और दो भाई थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और कई बार जेल भी गई।