Narendra Modi Onion Farmers of Maharashtra
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: सोशल मीडिया)

कांग्रेस ने महाराष्ट्र के किसानों से जुड़े विषय को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्याज किसानों की निरंतर उपेक्षा कर रहे हैं।

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नई दिल्ली. कांग्रेस ने महाराष्ट्र के किसानों से जुड़े विषय को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्याज किसानों की निरंतर उपेक्षा कर रहे हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की महाराष्ट्र में जनसभा के मद्देनजर उनसे कुछ सवाल भी किए। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भाजपा ने कोल्हापुर में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश को क्यों ख़तरे में डाला? पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में ‘लाल श्रेणी’ के मोडानी प्रोजेक्ट्स को मंजूरी क्यों दी गई है? सिर्फ़ गुजरात के सफ़ेद प्याज से ही निर्यात प्रतिबंध क्यों हटाया गया है?”

उन्होंने कहा, “गन्ने के रस और सिरप से इथेनॉल उत्पादन पर रोक लगाने के मोदी सरकार के फैसले से कोल्हापुर के चीनी उद्योग में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश ख़तरे में पड़ सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के गठबंधन सहयोगी अजित पवार ने इस बात को रेखांकित किया कि उद्योगों ने 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार से प्रोत्साहन के बाद 95 प्रतिशत ऋण लिया है। इस रोक के कारण उद्योग को गंभीर नुक़सान का सामना करना पड़ रहा है।”

रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गन्ना किसानों और मिलों को अचानक यह झटका क्यों दिया है तथा उन्हें इससे उबरने में मदद करने के लिए उनके पास क्या दृष्टिकोण है। उन्होंने दावा किया, “नवंबर 2023 में, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के एक प्रमुख सलाहकार को मोदी सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों में से एक में नियुक्त किया गया था, जो इस कंपनी की जलविद्युत परियोजनाओं के प्रस्तावों को मंजूरी देती है। इसके तुरंत बाद, दिसंबर 2023 में, कोल्हापुर के सौ से अधिक गांवों के निवासी एजीईएल की 7,000 करोड़ की पटगांव पंप स्टोरेज परियोजना के विरोध में खड़े हो गए।”

कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों और जंगलों की भलाई से पहले अपने कॉरपोरेट मित्रों के हितों को आगे क्यों रखा है। रमेश ने कहा, “दिसंबर 2023 से, महाराष्ट्र में प्याज किसान मोदी सरकार के प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से जूझ रहे हैं। खेती के मौसम के दौरान, राज्य असंतोषजनक वर्षा और जल संकट से प्रभावित था तथा अधिकतर किसान अपनी सामान्य फ़सल का केवल 50 प्रतिशत ही उत्पादन कर पाए थे। जब अंततः प्याज की कटाई और खुदाई हुई तो किसानों को मनमाने निर्यात प्रतिबंध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बिक्री की कीमतें बेहद कम हो गईं। परिणामस्वरूप, पिछले पांच महीनों में किसानों को काफी नुक़सान हुआ है।”

उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी बता सकते हैं कि उनकी सरकार ऐसा क्यों कर रही है और उन्होंने महाराष्ट्र के प्याज किसानों की उपेक्षा क्यों की है। रमेश ने कहा, “कांग्रेस का न्याय पत्र किसानों पर अंतिम समय में थोपी जाने वाली ऐसी विनाशकारी नीतियों को रोकने के लिए एक स्थिर, पूर्वानुमानित आयात-निर्यात नीति का वादा करता है। किसानों को नीतिगत स्थिरता का आश्वासन देने के लिए मोदी सरकार के पास क्या दृष्टिकोण है?”

उन्होंने कर्नाटक में सूखा राहत के लिए केंद्र से सहायता की मांग से जुड़े विषय का हवाला देते हुए दावा किया कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा भाजपा को खारिज किए जाने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी प्रदेश की जनता से बदला ले रहे हैं। रमेश ने प्रधानमंत्री की गोवा में जनसभा का हवाला देते हुए सवाल किया, “गोवा में ‘बीजेपी वॉशिंग मशीन’ कितनी तेजी से चल रही है? एक दशक तक भाजपा की सरकार रहने के बाद भी गोवा के युवा बेरोजगार क्यों हैं? क्या प्रधानमंत्री ‘मोडानी’ या जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं?” (एजेंसी)