निर्भया के गुनहगारों को नहीं होगी फांसी, मिलेगा और समय

नई दिल्ली: आज दिल्ली उच्च न्यायालय में निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार की अर्जी पर सुनवाई हुई। यह अर्जी फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए की गई थी। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने मुकेश की अर्ज़ी पर कोई

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नई दिल्ली: आज दिल्ली उच्च न्यायालय में निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार की अर्जी पर सुनवाई हुई। यह अर्जी फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए की गई थी। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने मुकेश की अर्ज़ी पर कोई भी फैसला देने से इनकार कर दिया हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि " मुकेश के वकील को ट्रायल कोर्ट से संपर्क करना चाहिए और लंबित दया याचिका के बारे में कोर्ट को अवगत कराना चाहिए।" इससे पहले मुकेश ने अपने बचाव में यह कहा था कि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए फांसी की सज़ा को रद्द कर दिया जाए। लेकिन न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय का फैसला न बदलते हुए सभी आरोपियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी देने का फैसला दिया हैं। 

इससे पहले न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने चैंबर में दोषी विनय शर्मा और मुकेश कुमार की सुधारात्मक याचिकाओं पर विचार के बाद उन्हें खारिज कर दिया। पीठ ने कहा था कि ‘‘मौत की सजा के अमल पर रोक के लिये मौखिक सुनवाई के आवेदन भी अस्वीकार किये जाते हैं।’ पीठ ने कहा, ‘‘मौत की सजा के अमल पर रोक के लिये आवेदन भी अस्वीकार किया जाता है। हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया है। हमारी राय में रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में 2002 के फैसले में इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित मानकों के दायरे में इसमें कोई मामला नहीं बनता है। अत: सुधारात्मक याचिकायें खारिज की जाती हैं।’