Amit Shah

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नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किए। शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे।

IPC में किए गए बदलाव

  • नए विधेयक में बलात्कार के मामलों में सजा को बढ़ा दिया गया है। अब बलात्कार के आरोपी को 10 साल की सजा होगी, जो पहले 7 साल थी।
  • नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले नया कानून बनाया गया है। इस मामले में आरोपी को 20 की सजा होगी। यह आजीवन कारावास की सजा है। नाबालिगों से बलात्कार के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है।
  • सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की कैद या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।
  • विवाह, रोजगार या पदोन्नति के बहाने अथवा पहचान छिपाकर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा।
  • बलात्कार पीड़ित की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है।
  • बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए नया अध्याय शामिल किया गया है। जिसमें परित्याग, बच्चे के शरीर का निपटान और बाल तस्करी आदि शामिल हैं।
  • ‘मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या करना)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
  • लापरवाही से मौत के मामले में भी सजा को बढ़ा दिया गया है। इस मामले में अब आरोपी को 7 साल की सजा होगी, जो पहले 2 साल थी।
  • अप्राकृतिक यौन अपराध धारा 377 को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अब पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है।
  • संगठित अपराध के खिलाफ नए कानून का प्रावधान किया गया है। अगर इसमें (अवैध शराब का धंधा, जबरन वसूली, अपहरण, डकैती, लूट, ब्लैकमेल आदि) किसी व्यक्ति की मौत होती है तो मृत्युदंड की सजा होगी।
  • आतंकवाद के खिलाफ नया कानून बनाया गया है। जिसमें मृत्युदंड की सजा होगी।
  • राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया गया है। इस कानून को “भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य” के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है।
  • नए कानून के तहत भारत में सजा के नए रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नया अध्याय शामिल किया गया है।