नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) के उस आदेश को सोमवार को दरकिनार कर दिया, जिसके तहत अदालत ने बलात्कार (rape) के एक मामले में स्वयंभू बाबा आसाराम बापू (Asaram Bapu) द्वारा दायर याचिका के सिलसिले में साक्ष्य दर्ज करने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक अधिकारी को समन भेजा था। जोधपुर के एक आश्रम में 2013 में एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में एक निचली अदालत ने 2018 में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
आसाराम ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में दलील दी थी कि कथित अपराध स्थल यानी आसाराम की निजी ‘कुटिया’ को लेकर पीड़िता ने जो ग्राफिक वर्णन दिया है, वह उस समय जोधपुर में सेवारत आईपीएस अधिकारी द्वारा की गई इस जगह की वीडियो रिकॉर्डिंग से कथित रूप से प्रभावित है।
Supreme Court sets aside Rajasthan High Court’s order, summoning IPS officer Ajay Pal Lamba for recording his evidence as a court witness in a case related to self-styled godman Asaram's appeal against his conviction in a minor's rape case.
Supreme Court also asks Rajasthan High… pic.twitter.com/FAIbF5r68J
— ANI (@ANI) April 17, 2023
आसाराम के वकील ने दलील दी कि लड़की ने अपनी हस्तलिखित शिकायत या पुलिस द्वारा 20 अगस्त, 2013 को दर्ज किए गए बयान में ‘कुटिया’ के अंदर का कोई विवरण नहीं दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने उच्च न्यायालय से आसाराम द्वारा दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘हमने याचिका को स्वीकार कर लिया है और निर्णय को दरकिनार कर दिया है।”
आसाराम के वकीलों द्वारा याचिका दायर किए जाने के बाद जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल लांबा को अदालत में एक गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया था। आसाराम के वकीलों ने याचिका में कहा है कि लांबा द्वारा रिकॉर्ड वीडियो ने किशोरी के बयान को संभवत: प्रभावित किया। जोधपुर के तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) ने अपनी किताब ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कन्विक्शन’ में कहा था कि उन्होंने अपराध के दृश्य को अपने मोबाइल फोन पर फिल्माया था, ताकि जरूरत पड़ने पर जांच के दौरान इससे मदद मिल सके। (एजेंसी)