
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शेयर बाजारों के विभिन्न नियामकीय पहलुओं के साथ अडानी समूह (Adani group) की कंपनियों के शेयरों में गिरावट की जांच के लिए गुरुवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में एक समिति के गठन का आदेश दिया। समिति को अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर देनी होगी। अमेरिका की शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में हाल में आई भारी गिरावट के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह बड़ा कदम उठाया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि समिति इस मामले में पूरी स्थिति का आकलन करेगी और निवेशकों की सभी चीजों के बारे में जागरूक करने और शेयर बाजारों की मौजूदा नियामकीय व्यवस्था को मजबूत करने के उपाय सुझाएगी।
पीठ ने केंद्र सरकार के साथ-साथ वित्तीय सांविधिक निकायों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ओ पी भट और न्यायमूर्ति जे पी देवदत्त भी छह समिति के सदस्य होंगे। समिति के अन्य सदस्यों में नंदन नीलेकणि, के वी कामत, सोमशेखरन सुंदरसन शामिल हैं।
"Truth will prevail": Adani Group welcomes Supreme Court order, says it will bring finality in a time-bound manner
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— ANI Digital (@ani_digital) March 2, 2023
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए विशेषज्ञों की प्रस्तावित समिति पर सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को लेने से इनकार कर दिया था। अभी तक इस मामले में उच्चतम न्यायालय में चार जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। ये याचिकाएं अधिवक्ता एम एल शर्मा, विशाल तिवारी तथा कांग्रेस नेताओं जया ठाकुर और मुकेश कुमार ने दायर की हैं। उल्लेखरीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है। रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। हालांकि, समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।