PM Narendra Modi
File Pic

    Loading

    नई दिल्ली. आज साल 2023 की पहली ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि, “साल 2023 की यह पहली मन की बात और उसके साथ-साथ इस कार्यक्रम का 97वें एपिसोड में एक बार फिर बातचीत करके मुझे बहुत खुशी हो रही है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हर साल जनवरी का महीना काफी इवेंटफुल होता है। इस महीने में उत्तर से लेकर दक्षिण तक इस बाबत त्योहार मनाए जाते हैं।”

    इसके साथ ही PM मोदी ने कहा कि, ”इस बार भी गणतन्त्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। जमीनी स्तर पर अपने समर्पण और सेवा-भाव से उपलब्धि हासिल करने वालों को पीपुल्स पद्मा को लेकर भी कई लोगों ने अपनी भावनाएं साझा की हैं। जनजातीय जीवन, शहरों की भागदौड़ से अलग होता है, उसकी चुनौतियां भी अलग होती हैं। इसके बावजूद जनजातीय समाज अपनी परम्पराओं को सहेजने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।”

    वहीं आज उन्होंने कहा कि, ‘इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में जनजातीय समुदाय और जनजातीय जीवन से जुड़े लोगों का अच्छा-खासा प्रतिनिधत्व रहा है। धानीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी। रामकृष्ण रेड्डी जी के नाम, अब तो पूरा देश उनसे परिचित हो गया है। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।”

    इसके साथ ही उनका कहना था कि, इस साल पद्म पुरस्कारों की गूंज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

    उन्होंने आगे कहा कि,  ”लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है- सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से, हम एक Democratic Society हैं। डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां Motions, Resolutions, Quorum (कोरम), Voting और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे।”

    वहीं मिलेट्स को लेकर PM मोदी ने कहा कि, जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं।मुझे खुशी है कि देश के हर कोने में जहां भी G-20 की समिट हो रही है, मिलेट्स से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन उसमें शामिल होते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि देश का ये प्रयास और दुनिया में बढ़ने वाली मिलेट्स (Millets) की डिमांड हमारे छोटे किसानों को कितनी ताकत देने वाली है।

    वहीं बढ़ते भारतीय पेटेंट्स को लाकर उन्होंने कहा कि, PM मोदी ने कहा कि, “आज पेटेंट फाइलिंग में भारत की रैंकिंग 7वीं और ट्रेडमार्क्स में 5वीं है। सिर्फ पेटेंट्स की बात करें तो पिछले पांच सालों में इसमें करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।भारत में पिछले 11 सालों में पहली बार डोमेस्टिक पेटेंट फाइलिंग की संख्या विदेशी फाइलिंग से अधिक देखी गई है। ये भारत के बढ़ते हुए वैज्ञानिक सामर्थ्य को भी दिखाता है।”

    इ-वेस्ट को लेकर उनका कहना था कि, आज के लेटेस्ट डिवाईस भविष्य के E-Waste भी होते हैं। जब भी कोई नया डिवाईस खरीदता है या फिर अपनी पुरानी डिवाईस को बदलता है तो यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि उसे सही तरीके से डिसकार्ड किया जाता है या नहीं। अगर E-Waste को ठीक से Dispose नहीं किया गया तो यह हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। 

    वहीं उन्होंने आगे कहा कि, आज पूरी दुनिया में Climate-change और Biodiversity के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है। इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं।हमारे देश में अब Ramsar Sites की कुल संख्या 75 हो गई है, जबकि 2014 के पहले देश में सिर्फ 26 Ramsar Sites थी। 

    इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर विंटर गमेश को लेकर कहा कि, कश्मीर के सय्यदाबाद में Winter games आयोजित किए गए। इन Games की theme थी- Snow Cricket!अगली बार जब आप कश्मीर यात्रा का प्लान करें तो इस तरह के आयोजनों को देखने के लिए समय निकालें।