Amit Shah
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    धारवाड़/कर्नाटक: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश में दोषसिद्धि दर बढ़ाने और आपराधिक न्याय प्रणाली को फॉरेंसिक विज्ञान आधारित जांच के साथ एकीकृत करने की जरूरत पर शनिवार को बल दिया, ताकि भारत में कानून और व्यवस्था की स्थिति को ठीक किया जा सके।  शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश फॉरंसिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पांच वर्षों में सबसे बड़ी संख्या में फॉरंसिक विज्ञान विशेषज्ञ होंगे।

    उन्होंने कहा, ‘‘मैं देशवासियों से कह सकता हूं कि, पूरे विश्व में यदि किसी देश में पांच साल में सबसे ज्यादा फॉरेंसिक साइंस के विशेषज्ञ होंगे, तो वे भारत में होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का राष्ट्रीय फॉरंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय दुनिया का पहला ऐसा अनोखा विश्वविद्यालय है।”

    यहां राष्ट्रीय फॉरंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के एक ऑफ-कैंपस परिसर की आधारशिला रखने के बाद शाह ने कहा कि अपराध की दुनिया तेजी से बदल रही है, चाहे वह जाली मुद्रा हो, हवाला लेनदेन हो, सीमा से घुसपैठ हो, नशीले पदार्थ हो, साइबर अपराध हो, महिलाओं के खिलाफ अपराध हों, अपराधी पुलिस से काफी आगे निकल चुके हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘जब तक पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे नहीं होगी, तब तक अपराध की रोकथाम असंभव है। यदि पुलिस को दो कदम आगे रहना है, तो हमें दोषसिद्धि की दर बढ़ानी होगी। जब तक जांच का आधार वैज्ञानिक नहीं होगा, हम दोषियों को अदालत में सजा नहीं दिला पाएंगे।”’

    उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे अपराधों के मामले में जिनमें छह साल से अधिक की सजा हो सकती है, फॉरंसिक विज्ञान अधिकारी को अपराध के स्थान पर पहले पहुंचना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने इसे शहरी क्षेत्रों में लागू करने के लिए कर्नाटक पुलिस की सराहना की और कहा कि यह अपराध का पता लगाने और दोषसिद्धि में मददगार होगा।  इस कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्य सरकार के कई मंत्री, विधायक, गृह और पुलिस विभागों के शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे।

    शाह ने कहा कि जैसे-जैसे भारत प्रगति कर रहा है, चुनौतियां भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि उन चुनौतियों के अनुसार विशेषज्ञों को तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के लिए तीन हिस्से हैं, एक व्यावहारिक कानून व्यवस्था जिसे पुलिस संभालती है, अपराध की जांच जिसमें फॉरंसिक विज्ञान की बड़ी भूमिका है और फिर आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करना। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी न्याय प्रणाली में फॉरंसिक विज्ञान के साक्ष्य को महत्व दिया जाएगा, इसलिए हम वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अपराधियों को सजा देने के लिए आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन कर रहे हैं।” 

    उन्होंने कहा कि अब यातना देने का दौर नहीं रहा। उन्होंने कहा कि कनाडा में दोषसिद्धि की दर 62 प्रतिशत, इज़राइल में 93 प्रतिशत, ब्रिटेन में 80 प्रतिशत और अमेरिका में 90 प्रतिशत है, जबकि भारत में यह 50 प्रतिशत है। शाह ने कहा, “हम इसमें पीछे नहीं रह सकते। देश में यदि कानून और व्यवस्था की स्थिति को ठीक करना है, तो हमें अपनी सजा की दर बढ़ानी होगी। हमें अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली को फॉरंसिक विज्ञान आधारित जांच के साथ एकीकृत करना होगा।”

    उन्होंने कहा कि कुछ जघन्य अपराधों के लिए फॉरंसिक विज्ञान जांच अनिवार्य की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देशभर में छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फॉरंसिक जांच को “अनिवार्य” बनाने के लिए, हमें नौ साल तक हर साल 8,000-10,000 फॉरंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि अब, एनएफएसयू कैंपस धीरे-धीरे देश भर में विभिन्न स्थानों पर खुल रहे हैं, हमें 10,000 विशेषज्ञ मिलेंगे जो आने वाले वर्षों में आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करेंगे। शाह ने अपने संबोधन के दौरान देश में फॉरंसिक विज्ञान विभाग शुरू करने और इस विषय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी को श्रेय दिया।

    उन्होंने कहा, बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने सर्वश्रेष्ठ-इन-क्लास फॉरंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की पहल की और प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी की पहचान की, जिसके परिणामस्वरूप गुजरात फॉरंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में, मोदी ने राष्ट्रीय फॉरंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के बारे में सोचा और इसे स्थापित किया गया। शाह ने कहा कि उन्हें इसका गर्व है कि जब विश्वविद्यालय की स्थापना गुजरात में हुई तब वह राज्य के गृह मंत्री थे जबकि देश का गृह मंत्री रहते राष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्थापना हुई। 

    यह उल्लेख करते हुए कि धारवाड़ में राष्ट्रीय फॉरंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के नौवे ऑफ-कैंपस परिसर की नींव रखी गई है, शाह ने कहा कि एनएफएसयू के इस परिसर में साइबर सुरक्षा, डिजिटल फॉरंसिक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डीएनए फॉरंसिक, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यावरण फॉरंसिक और कृषि फॉरंसिक जैसे फॉरंसिक विज्ञान से संबंधित विषय विशेषज्ञ स्तर तक पढ़ाये जाएंगे। (एजेंसी)