वायरल हुआ मेट्रो में ‘बिकनी’ गर्ल का वीडियो! जानें क्या है अश्लीलता की परिभाषा? बिना पूछे वीडियो बनाने पर कानून में क्या है सजा

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नई दिल्ली: इन दिनों सोशल मीडिया पर दिल्ली मेट्रो में बिकनी पहनी एक लड़की का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल सोशल मीडिया पर सनसनी मचा रही इस लड़की का नाम रिदम चन्ना (Rhythm Chanana) है जो मात्र 19 साल की है। ऐसे में अब इस वायरल वीडियो को लेकर देश में लोग अपनी अलग-अलग राय दे रहे है। इतना ही नहीं बल्कि उसके ड्रेसिंग सेंस को लेकर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल आ रहे है। कोई इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी बता रहा है तो कोई अधिकारों का दुरूपयोग बता रहे है, लेकिन असल में यह क्या माजरा है, इसे लेकर कानून क्या कहता है? इन सभी सवालों के जवाब आज हम आपको दे रहे है, आइए यहां जानते है… 

आजादी को लेकर क्या कहता है कानून? 

आपको बता दें कि अश्लीलता भरे इस वीडियो के बारे में ज्यादातर लोग मान रहे हैं कि लड़की मेट्रो में अश्लीलता फैला रही थी, जो बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। वहीं कुछ लोग लड़की के पक्ष में भी बोल रहे हैं। उनका कहना है कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है। लेकिन आज महत्वपूर्ण खबर हम आपके लिए यह लाए है कि अपनी मन मर्जी से कपड़े पहनने की आजादी को लेकर क्या कहता है कानून, अश्लीलता की सीमा किस आधार पर तय होती है। इन सभी सवालों के जाव यहां आपको मिलने वाले है। 

फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के बारे में आर्टिकल 19 क्या कहता है? 

फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को लेकर आर्टिकल (अनुच्छेद) 19 को लेकर पहली बात हम आपको यह बता दें कि इस अनुच्छेद के तहत दिए गए सभी अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही मिले हैं। अगर कोई विदेशी नागरिक है तो उसे ये अधिकार नहीं दिए गए हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब है कि एक भारतीय नागरिक लिखकर, बोलकर, छापकर, इशारे से अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है। 

आर्टिकल 19 को लेकर कुछ शर्तें भी है…

जानकारी के लिए आपको बता दें कि आर्टिकल 19 में दिए गए अधिकारों को लेकर कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। आइए जानते है क्या है वह शर्तें 

  • इन अधिकारों का उपयोग इस तरह करना है कि इससे देश की संप्रभुता और एकता को खतरा न हो। 
  • इन अधिकारों का उपयोग करने की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त न हो।
  • इसकी वजह से देश की सुरक्षा के साथ समझौता न हो। 
  • लोगों की भावना को ठेस न पहुंचे।

भारत का अश्लीलता कानून 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि आईपीसी की धारा-292 अश्लील सामग्री की बिक्री/वितरण/प्रकाशन पर रोक लगाती है। बता दें कि यह धारा आईपीसी में ऑब्सीन की परिभाषा भी देता है। इस धारा के अनुसार, “कोई किताब, पैम्फलेट, पेपर, राइटिंग, ड्रॉइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व, आकृति या कोई अन्य वस्तु तब अश्लील मानी जाएगी, जब वह कामोत्तेजक है या कामुक व्यक्तियों के लिए रुचिकर हो, या उसकी सामग्री कामुक विचार जगाए या उस सामग्री को देखने, पढ़ने या सुनने वाले व्यक्तियों को दुराचारी और भ्रष्ट बनाए।” आधार पर अश्लीलता तय की जाती है। 

बिना पूछे वीडियो बनाने पर क्या कहता है कानून? क्या है सजा? 

दरअसल IT अधिनियम, 2000 की धारा 66E गोपनीयता के उल्लंघन से जुड़ी है। इसके तहत किसी भी व्यक्ति की मंजूरी के बिना उसके प्राइवेट एरिया या फिर उसकी फोटो या वीडियो बनाना। इसके बाद सोशल मीडिया पर पब्लिश करना दंडनीय अपराध है। IT अधिनियम, 2000 की धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील कंटेंट के प्रसारण पर रोक लगाती है।

इसमें ऐसा कोई भी कंटेंट शामिल है, जो कामुक है और लोगों को भ्रष्ट करती है। अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 साल तक की जेल की सजा दी जाती है। ऐसे में जिस व्यक्ति ने अभी वायरल हो रही फोटोज और वीडियो लिए हैं, उसे IT एक्ट के तहत कसूरवार ठहराया जा सकता है।