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    नई दिल्ली : सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की इलाज (treatment) के दौरान मौत हो गई। जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति (politics) की। इस बीच उन्होंने बहुत से उतार चढ़ाव देखे मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक चुनकर आए। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के CM रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गए। उनकी मौत की खबर से देश शोक में हैं।

    1992 में बनाई पार्टी और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा 

    मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी। जिसमे मुलायम सिंह यादव सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बनाए गये। वहीं पार्टी में मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त की जिम्मेदारी दी गई थी। एक महीने बाद यानी 4 और 5 नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया। इसके बाद नेताजी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थायी मुकाम बना लिया। इसके बाद वह पीछे मुड़कर नही देखे और सियासत के महारथी बन गए।  

    पर्सनल लाइफ विवादों में घिरी रही 

    55 साल के राजनीतिक करियर में मुलायम लोगों के लिए कभी लीडर बने तो कभी उनकी निगेटिव छवि सामने आई। वहीं, मुलायम सिंह अपनी निजी जिंदगी और साधना गुप्ता से अपने रिश्ते को लेकर भी विवादों में रहे। इस वजह से उनके और अखिलेश यादव के बीच दूरियां भी बढ़ीं। फरवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट में मुलायम ने साधना गुप्ता से अपने रिश्ते कबूल किए तो लोगों को उनकी दूसरी पत्नी के बारे में पता चला। साधना गुप्ता से मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। पर्सनल लाइफ विवादों से घिरी रही। 

    जब कारसेवकों पर फायरिंग कराई 

    55 साल के राजनीतिक करियर में मुलायम लोगों के लिए कभी लीडर बने तो कभी उनकी निगेटिव छवि सामने आई। वहीं, मुलायम सिंह अपनी निजी जिंदगी और साधना गुप्ता से अपने रिश्ते को लेकर भी विवादों में रहे। इस वजह से उनके और अखिलेश यादव के बीच दूरियां भी बढ़ीं 1990 में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए कारसेवा की। कारसेवकों के विवादिच ढांचे के करीब पहुंचने के बाद मुलायम ने सुरक्षाबलों को गोली चलाने का निर्देश दे दिया। सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई में 16 कारसेवकों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। बाद में मुलायम ने बताया कि सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 28 लोग मारे गए थे। 

    चली थी गोलियां पर बच निकले 

    8 मार्च 1984 में मुलायम सिंह उस वक्त लोकतांत्रिक मोर्चा के उत्तर-प्रदेश के स्टेट प्रेसिडेंट थे। मुलायम इटावा दौरे पर निकले थे कि अचानक उनकी कार पर दो बाइक सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। कार पर कुल 9 राउंड की फायरिंग की गई थी। इस हमले में मुलायम के एक सहयोगी की मौत हो गई थी। पर वह बच निकले थे। 

     बता दें 82 साल के मुलायम यूरिन इन्फेक्शन के चलते 26 सितंबर से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल पर मुलायम के निधन की जानकारी दी। सैफई में मंगलवार को मुलायम का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुलायम के निधन पर यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक रहेगा।