नई दिल्ली: आखिरकार लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections 2024) की आहात के बीच, बीते सोमवार को नोटिफिकेशन जारी होते ही देशभर में CAA का कानून लागू हो गया। जहां इस मुद्दे पर एक तरफ सत्ता पक्ष इसे लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष एक स्वर में इसके खिलाफ बोल रही है। हालंकि इस बाबत मोदी सरकार का पहले ही कहना था कि, CAA के नियम 2024 के चुनाव से पहले लागू कर दिए जाएंगे।
आखिर क्या है CAA?
जानकारी दें कि, CAA कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, जैनों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को यहां पांच वर्ष निवास करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है।
क्यों हो रहा CAA का समर्थन
- CAA कानून से अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता सुगम होगा।
- CAA कानून के अनुसार इसके तहत उपरोक्त तीनों पड़ोसी देशों के बिना दस्तावेज वाले अल्पसंख्यकों को लाभ मिलेगा।
- CAA के लिए अप्लाई करना आसान होगा और इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
- आवेदनकर्ताओं को बस यह बताना होगा कि वे किस साल भारत आए थे और उनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे।
- इस प्रक्रिया में आवेदकों से कोई दस्तावेज भी नहीं मांगे जाएंगे।
- CAA कानून से भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर इसका कोई भी असर नहीं पड़ेगा।
जानें क्यों हो रहा CAA का विरोध
- CAA के लागू होने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सिर्फ गैर मुस्लिम अप्रवासी ही भारत की नागरिकता के लिए अपना आवेदन कर सकेंगे।
- लेकिन इन देशों के मुसलमानों को यह सुविधा नहीं होगी।
- विपक्ष का मानना है कि, CAA में जानबुझकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। वे अवैध घोषित किए जा सकते हैं।
- आलोचक इस कानून को NRC से जोड़ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि, NRC के जरिए लोगों से भारतीय नागरिकता छीनी जाएगी और फिर CAA के जरिए उन्हें फिर से नागरिकता दी जाएगी। इस प्रक्रिया में तब मुसलमानों को देश से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
- इस कानून के जरिए पड़ोसी देश के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। ऐसे में देश की जनसंख्या बढ़ने से यहां के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।
- CAA कानून में मुस्लिम वर्ग को बहार रखने के वजह से भारत सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप भी लगा है।
लोकसभा चुनाव के पहले ही क्यों हुआ CAA लागू
देखा जाए तो लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले इसे अमल में लाकर BJP नीत केंद्र सरकार को चुनाव के समय मुसलमान वोटों के विरुद्ध हिंदुओं के वोट BJP के खाते में आएंगे। वह इसीलिए क्योंकि इस कानून पर अमल की अधिसूचना जारी होने से मुस्लिम समुदाय अब अलग-थलग पड़ चूका है। यही अकेला समुदाय है, जिसके अवैध अप्रवासी अब भारत के नागरिक नहीं बन पाएंगे, जबकि इन देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग इसका लाभ उठा लेंगे। हालाँकि आज से ठीक साढ़े 4 साल पहले मोदी सरकार-2 ने संसद में इसे पारित तो करवा लिया था, लेकिन भारी विरोध के चलते तब इसे अमल में नहीं लाया गया था। लेकिन अब इस फिर अमल पर लाया गया है।