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मुंबई: स्तन कैंसर एक ऐसा मौन खतरा है जो हर जगह हर तबके की महिलाओं को प्रभावित करता है। इस पर तत्काल ध्यान देना तो आवश्यक के साथ ही साथ सामूहिक तौर पर जरूरी कदम उठाना भी आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में सबसे आम कैंसर है, अकेले 2020 में इसके 2.3 मिलियन नए मामले सामने आए हैं। श्रीहरिहरन सुब्रमण्यन, प्रबंध निदेशक, सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा कि भारत में भी इसकी गूंज सुनाई देती है, जहां स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाली घातक बीमारी है। स्तन कैंसर के मामलों की संख्या सभी तरह के कैंसर के मामलों के 25% से अधिक है। भारत में स्तन कैंसर की बढ़ती दर को देखते हुए जीवनशैली में बदलाव, देर से पता चलने, जेनेटिक्स, ज्ञान की कमी, सांस्कृतिक कलंक और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच जैसी समस्याओं का समाधान निकालने वाली एक व्यापक रणनीति आवश्यक है। 

स्तन कैंसर और उसके कारणों का पता लगाना आवश्यक
श्रीहरिहरन सुब्रमण्यन ने कहा कि स्तन कैंसर आम तौर पर स्तन की दूध नलिकाओं (मिल्क डक्ट्स) या लोब्यूल्स में उत्पन्न होता है। एस्ट्रोजेन या प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन और एचईआर-2/न्यू (HER-2/neu) नामक प्रोटीन, कुछ निश्चित प्रकार के स्तन कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं। इनमें से बाद वाला कारण यदि पॉजिटिव है, तो इसके परिणामस्वरूप कैंसर अधिक आक्रामक हो सकता है और इसके वापस आने की अधिक संभावना भी रहती है। यह व्यक्ति के संपूर्ण अस्तित्व को प्रभावित करता है। हालाँकि स्तन कैंसर पुरुषों में दुर्लभ है, फिर भी यह प्रति 100 महिलाओं पर 1 पुरुष को प्रभावित करता है। महिलाओं के मामले में, उम्र (50 से अधिक), प्रजनन इतिहास, पारिवारिक इतिहास, जीन म्यूटेशन  (बीआरसीए1 और बीआरसीए2), जीवनशैली (शराब का सेवन, मोटापा) और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी जैसे विभिन्न कारक स्तन कैंसर के जोखिम में योगदान देते हैं। 

 तकनीकी प्रगति में होलेस्टिक पेशंट केयर की अहम भूमिकास्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में प्रारंभिक स्थिति में पहचान महत्वपूर्ण है और इस संदर्भ में मैमोग्राफी आशा की एक किरण बनकर उभर रही है। रोग की शीघ्र पहचान हो और रोग के बारे में व्यापक जागरूकता हो तो रोगियों के बचने की दर को बढ़ाया तथा मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की असुविधा को कम करने के लिए नैदानिक कौशल यानी रोग का पता लगाने की तकनीक में सुधार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों में प्रगति शीघ्र निदान में काफी प्रभावशाली रही है। मैमोग्राफी पैडल पर रेडियो ल्यूसेंट एड्हेसिवपैड जैसे तकनीकी नवाचारों के साथ, जो एक महिला के शरीर पर एडजस्ट होने के लिए घुमावदार होते हैं और कम मैमोग्राफी कम्प्रेशन, उच्च इमेज क्वालिटी के साथ लो डोज़ स्क्रीनिंग (30% तक), इंटेलिजेंट और पर्सनलाइज्ड कम्प्रेशन प्रदान करने वाली तकनीक जिससे रोगी को अधिक आराम मिलता है, 50° वाइड-एंगल टोमोसिंथेसिस, जो कैंसर का पता लगाने के लिए एक बेहतर व अत्यधिक सटीक तरीका है और इससे प्राप्त निदान विश्वसनीय होता है। ये सभी रोगी के समग्र आराम और अनुभव को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं। 

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जागरूकता महत्वपूर्ण
स्तन कैंसर की बढ़ती चिंता के विरुद्ध लड़ाई में स्तन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। रोटरी क्लब ऑफ मेट्टुपालयम और कोवई मेडिकल सेंटर एंड हॉस्पिटल द्वारा शुरू की गई ‘प्रोजेक्ट हील’ जैसी पहल के अंतर्गत सीमेंस हेल्थिनियर्स के प्रीमियम डिजिटल मैमोग्राफी सिस्टम से सुसज्जित मोबाइल मैमोग्राफी यूनिट की शुरुआत की गई जो कि इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला प्रयास है। यह मोबाइल यूनिट तमिलनाडु में वंचित वर्ग की महिलाओं की कैंसर स्क्रीनिंग में मदद करती है। इस तरह की अवधारणाएं भारत के दूरदराज के इलाकों में स्तन कैंसर का निदान करने के लिए मैमोग्राफी ऑन व्हील्स को सक्षम बनाती हैं। महिलाओं को स्व-परीक्षण और नियमित जांच के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं, निर्णयकर्ताओं और आम जनता के बीच सहयोग स्थापित करके प्रत्येक महिला को इस रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए आवश्यक जानकारी और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना समय की तत्काल आवश्यकता है। हमारी प्रतिबद्धता प्रौद्योगिकी की प्रगति सुनिश्चित करने से लेकर रोग का शीघ्र पता लगाने और जागरूकता को बढ़ावा देने जैसे प्रयासों तक फैली हुई है। हमारा मानना है कि महिलाओं के जीवन पर बीमारी के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। आइए स्तन कैंसर के खतरे के खिलाफ एक साथ खड़े होकर, शीघ्र पता लगाने को हमारी तलवार और जागरूकता को हमारी ढाल बनाएं।