पृथ्वी को बचाने के लिए अपनी आजादी को लोग कितना सीमित करना चाहते हैं?  जानें इस रिपोर्ट में

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    लीड्स (इंग्लैंड): संयुक्त राष्ट्र के 2021 में हुए जलवायु सम्मेलन सीओपी26 से पहले एक जनमत सर्वेक्षण में पाया गया कि ब्रिटेन के 79 प्रतिशत प्रतिभागी अपनी सरकारों द्वारा लागू किए ‘‘सख्त नियमों और पर्यावरणीय नियमों को स्वीकार करेंगे” और 44 प्रतिशत लोगों को ‘‘नहीं लगता कि उन्हें अपनी आदतों में बदलाव करने की सच में आवश्यकता है।” इससे संकेत मिल सकता है कि कुछ लोग ही पृथ्वी को बचाने के लिए जीवनशैली में अहम बदलाव करने के इच्छुक हैं।

    लोग समझ सकते हैं निजी व्यवहार से ऐसे देश में सीमित फर्क ही पड़ सकता है जहां 87 प्रतिशत होम हीटिंग सिस्टम गैस का इस्तेमाल करते हैं और विमानों का किराया ट्रेन के मुकाबले सस्ता है। आदतों में बदलाव के बजाय इन मुद्दों पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। ‘सीआरईडीएस’ में मेरे अध्ययन से संकेत मिलता है कि ब्रिटेन की जनता पर्यावरण की खातिर अपनी पसंद की स्वतंत्रता को सीमित करने की इच्छुक है। ब्रिटेन सरकार की जलवायु नीति का मुख्य ध्यान व्यवहार में बदलाव लाने पर केंद्रित है। यह रुख सततता पर सूचना उपलब्ध कराने पर निर्भर करता है।

    उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊंची कीमतों के कारण अतीत में कई लोग उन्हें खरीदने से बचते रहे हैं लेकिन 2021 में इनकी बिक्री अचानक बढ़ गयी जब ब्रिटेन सरकार ने 2030 तक जीवाश्म ईंधन वाली कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। मेरे अध्ययन में शामिल होने वाले कई लोगों ने बताया कि वे इस प्रस्तावित प्रतिबंध के कारण इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर विचार कर रहे हैं।

    घरों में ऊष्मा के विकार्बनन पर हाल में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों को अपने घरों की हीटिंग प्रणालियों को बदलने के लिए 10,000 पाउंड या इससे अधिक का भुगतान करने के लिए कहना ‘‘एक बड़ी चुनौती” है और इसके बजाय सब्सिडी दी जा सकती है और प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हमारे अध्ययन का मकसद यह पता लगाना है कि लोगों के ऊर्जा उपभोग को कम करने के लिए सरकार के हस्तक्षेप की कितनी आवश्यकता है। 

    जब मैंने अधिक ऊर्जा की खपत करने वाले 30 घरों के लोगों का उनकी जीवनशैली को लेकर साक्षात्कार किया तो ज्यादा लोगों ने ऊर्जा के इस्तेमाल के अपने स्तर को न्यायोचित ठहराया, जिसमें ‘‘अच्छा जीवन” जीने के लिए कई उपकरण वाले बड़े मकान और महंगी कारें खरीदना और एक साल में 60 बार विमान में सफर करना शामिल है।

    एक सहकर्मी और मैंने उन लोगों के साथ चार कार्यशालाएं आयोजित कीं जिनकी ऊर्जा की खपत का स्तर अलग था। उनमें भाग लेने वाले लोगों को लगा कि अत्यधिक, लग्जरी केंद्रित ऊर्जा की खपत से निपटने के लिए प्रतिबंध तार्किक हैं। इसमें कई बार छुट्टियों के लिए उड़ान भरना और कार के अत्यधिक इस्तेमाल को कम करने के लक्ष्य चिह्नित किए गए।

    कुछ लोगों ने कहा, ‘‘अगर आप किसी चीज पर कर लगाते है तो जो लोग इसका खर्च वहन कर सकते हैं वे अब भी इनका इस्तेमाल करेंगे। इससे गरीब लोगों पर ही असर पड़ेगा।” अध्ययन में भाग लेने वाले 84 से 96 फीसदी लोगों ने उड़ान शुल्क, कार्बन कर, शहरों में कारों की सीमित संख्या और गति की सीमा तय करने समेत विभिन्न नीतियों का समर्थन किया। इन सभी में सरकार की सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। (एजेंसी)