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    -सीमा कुमारी

    भगवान विष्णु की आराधना का पावन महीना कार्तिक धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।क्योंकि, इस महीने माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी भी आती है। पचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ कहा जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है।

    इस साल ,ये एकादशी 14 नवंबर को पड़ रही है। मान्यताओं अनुसार इस एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी 4 महीने की नींद से जागते हैं।  इस तिथि से ही मांगलिक कार्यों प्रारंभ हो जाते हैं। आइए जानते हैं ऐसे कार्यों के बारे में जिन्हें इस दिन करने से आप पाप के भागी हो सकते हैं।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,एकादशी तिथि खास तौर पर देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन देवी तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन तुलसी माता को चुनरी ओढ़ाना चाहिए। तुलली के पौधे के नीचे दीप जलाना चाहिए। द्वादशी तिथि को पारण तुलसी के पत्तों से करना चाहिए, इसके लिए तुलसी पत्ता व्रती को स्वयं नहीं तोड़ना चाहिए। बच्चे या बुजुर्ग जिन्होंने व्रत ना किया हो। उनसे पत्ता तोड़ने के लिए कहना चाहिए।

    इस दिन व्रत रखने वाले तथा परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक और संयमित जीवन बिताना चाहिए। इस दिन भूल कर भी मांस, मदिरा का सेवन न करें

    शास्त्र के मुताबिक,  एकादशी के दिन झूठ बोलने और किसी को अपशब्द कहने से बचना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु का पूजन सफल नहीं होता ।

    शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों के खाने की मनाही है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने वाला व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है।  लेकिन द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। भगवान विष्णु और उनके किसी भी अवतार वाली तिथि में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

    एकादशी के दिन बाल और नाखून भी नहीं कटवाने चाहिए।