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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में कई मान्यताएं प्रचलित है, जिसका सनातन धर्म को मानने वाले लोग पालन भी करते हैं। खासकर, पर्व और त्योहार तथा व्रत में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है। यहां तक कि भगवान के भोग में भी प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

लेकिन, आप क्या जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है ? जबकि प्याज और लहसुन सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ कई रोगों से लड़ने में मदद करता है। लेकिन, फिर भी इसे ब्राह्मण और व्रत रखने वाले लोग खाने में इस्तेमाल नहीं करते हैं। आइए जानें इस बारे में-

शास्त्रों के अनुसार, भोजन के तीन प्रकार होते हैं। पहला भोजन सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन। इन तीनों ही प्रकार के भोजन का मनुष्य के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

लहसुन-प्याज उत्पन्न होने के पीछे पौराणिक कथा जानें

धर्मगुरु के अनुसार, समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत-कलश भी निकला था। अमृतपान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर अमृत बांटने लगे। जैसे ही मोहिनी रूप धरे श्री विष्णु ने देवताओं को अमृतपान कराना शुरू किया, वैसे ही एक राक्षस देवता का रूप धर कर देवताओं की पंक्ति में आकर खड़ा हो गया।

लेकिन, सूर्य और चंद्रदेव ने उस राक्षस को पहचान लिया और उन्होंने विष्णु जी को बता दिया। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन, उसने थोड़ा अमृतपान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा। मान्यता है कि राक्षस से उत्पन्न होने के कारण भी लहसुन और प्याज का सेवन नहीं किया जाता है।