3 मई को मनेगी ‘परशुराम जयंती’, भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक इस अवतार की महिमा जानिए, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

आइए जानते हैं पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्रों के बारे में -

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    -सीमा कुमारी

    इस साल 3 मई, यानी आज मंगलवार के दिन ‘परशुराम जयंती’ मनाई जाएगी। साथ ही इस दिन अक्षय तृतीया भी है। पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के साथ भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म वैशाख मास के तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था।

    ‘अक्षय तृतीया’ के दिन ही भगवान विष्णु ने छठे अवतार भगवान परशुराम के रूप में माता रेणुका के गर्भ से जन्म लिया था। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी खाली नहीं जाता। आइए जानते हैं पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्रों के बारे में –

     शुभ मुहूर्त

    •  तृतीया तिथि का प्रारंभ- 3 मई,मंगलवार सुबह 5 बजकर 20 मिनट से शुरू
    •  तृतीया तिथि समाप्त- 4 मई 2022, बुधवार सुबह 7 बजकर 30 मिनट तक।

     परशुराम जयंती पर इस विधि से करें पूजा

    परशुराम जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी काम निपटा लें और स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करके गंगाजल से शुद्ध कर लें। अब घर के मंदिर में एक चौकी रखकर उस पर सब कपड़ा बिछाएं तथा इसके ऊपर भगवान परशुराम की तस्वीर या मूर्ति रखें। तत्पश्चात तस्वीर या मूर्ति पर रोली, अक्षत, फूल अर्पित करके फलों का भोग लगाएं। और फिर धूप-दीप जलाकर भगवान परशुराम की आरती करें।

     महिमा

    माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म धरती से अन्याय को खत्म करने के लिए हुआ था। भगवान परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम को भगवान शिव का एकमात्र शिष्य माना जाता है। मान्यता है कि भगवान परशुराम ने कठोर तपस्या करके महादेव को प्रसन्न करके किया था। इसके उपरांत ही उन्हें परशु (फरसा) मिला था।

    मान्यता है कि परशुराम जयंती के दिन व्रत रखने के साथ विधिवत तरीके से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं निसंतान लोग इस व्रत को रखें तो जल्द ही पुत्र की प्राप्ति होती है। भगवान परशुराम की पूजा करने से विष्णु भगवान की भी कृपा जातक के ऊपर बनी रहती है।