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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर महिलाएं अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र के लिए ‘वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat) रखती हैं। इस बार यह व्रत 19 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। मान्यता है कि, इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस विशेष दिन पर वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। आइए जानें वर्ष 2023 में कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी।  उदया तिथि के अनुसार 19 मई को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा।

मान्यता है कि सावित्री व्रत रखने से करवा चौथ के व्रत करने के बराबर फल मिलता है। इस बार ‘वट सावित्री व्रत’ के दिन गज केसरी योग और शश राजयोग भी पड़ रहा है। इन दोनों योग को पूजा-पाठ, शुभ काम करने के लिए बेहद शुभ माना गया है।

पूजा विधि  

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति और परिवार को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और पति की अकाल मृत्यु का भय टल जाता है। वट सावित्री व्रत के दिन पतिव्रता स्त्री वट वृक्ष की परिक्रमा करती है और चारों ओर कलावा बांधती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पति की लंबी उम्र और संतान की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

‘वट सावित्री व्रत’ महत्व

  •  वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास माना गया है।
  • यही कारण है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • जो सुहागन स्त्री वट सावित्री व्रत का पालन और वट वृक्ष की पूजा करती है उसे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है।
  • उस महिला के सभी दुख दूर हो जाते हैं और वैवाहिक जीवन के कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
  • वट सावित्री का व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम, तालमेल और मधुरता बढ़ती है।