सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: भगवान शिव की उपासना का महापर्व ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri 2024) शिव भक्तों के लिए बेहद शुभ एवं मनोवांछित फल प्रदान हेतु बताया गया हैं। इस दिन पुराणों और आगमों के अनुसार महादेव की पूजा की जाती है। रुद्राभिषेक कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है, भक्त उनसे अपने सभी मनोरथों की पूर्ति का वर मांगते हैं।
कहा जाता है कि, भगवान शिव एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के साथ-साथ कुछ बातों का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। भोलेनाथ को पूरे विधि-विधान से जल चढ़ाने से मन की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर गलत तरीके या गलत दिशा में जल चढ़ाया जाए तो महादेव नाराज हो सकते हैं। कई लोग इस बात को लेकर सोच में पड़ जाते हैं कि मंदिर के लोटे में जल चढ़ाना चाहिए या नहीं।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानें
ज्योतिषियों की मानें तो, शिवलिंग को जल का अर्घ्य देते समय ध्यान रखें कि जल उत्तर दिशा से गिरे, यानी जलाभिषेक कर रहे श्रद्धालु का मुख उत्तर दिशा की ओर हो। कहते हैं कि, इससे देवों के देव महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा न करें। ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। परिक्रमा करने के लिए शिवलिंग पर अर्पित जल को लांघना पड़ता है। शास्त्र में ऐसा करने की मनाही है। इसके लिए जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा बिल्कुल न करें।
खड़े होकर नहीं करें जल अर्पित
- ज्योतिषियों का मानना है कि, जब भी आप शिवलिंग पर जल अर्पित करें हमेशा ध्यान में रखें कि आपको खड़े होकर जल अर्पित नहीं करना है। यदि आप खड़े होकर जल अर्पित करती हैं तो इसका फल नहीं मिलता है। बैठकर शिवलिंग पर जल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।
- अगर आप शिवलिंग पर स्टील या लोहे के पात्र से जल चढ़ाती हैं तो ये शुभ नहीं माना जाता है। कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग पर जल अर्पित न करें जिनमें किसी ऐसी धातु का इस्तेमाल किया गया हो। शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे के लोटे से चढ़ाना ही शुभ माना जाता है।
- इसके साथ ही आपको ये ध्यान में रखना है कि जब आप जल चढ़ाएं तो जलधारा टूटनी नहीं चाहिए और एक साथ ही जल अर्पित करना चाहिए। लेकिन यदि आप जल के स्थान पर दूध चढ़ा रही हैं तब तांबे के लोटे का इस्तेमाल न करें।
- यदि आप शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो आपको समय का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि आप जल प्रातः 5 से 11 बजे तक चढ़ाएंगी तो ये विशेष रूप से फलदायी होगा। कभी भी शाम के समय शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं। ऐसा करने से शिव पूजन का फल नहीं मिलता है।