पादरी व नन को उम्र कैद 30 वर्ष बाद सिस्टर अभया को न्याय

Loading

कहावत है कि विलंबित न्याय, न्याय नहीं होता लेकिन दूसरी ओर यह भी कहा जाता है कि चाहे 100 गुनहगार छूट जाए मगर एक बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए. यह न्याय प्रणाली की कैसी कछुआ चाल है कि केरल के बहुचर्चित अभया हत्याकांड (Murder of Kerala’s Sister Abhaya) का फैसला  28 वर्ष बाद आया. तिरुवनंतपुरम की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने 21 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या के मामले में कैथोलिक पादरी फादर थॉमस कोट्टूर (Thomas Kottoor) और सिस्टर सेफी को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई जो अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में गुजर गए. इस प्रकरण में स्थानीय पुलिस और फिर क्राइम ब्रांच ने जांच कर इसे आत्महत्या का मामला बताया था लेकिन सीबीआई जांच में पता चला कि अभया पर कुल्हाड़ी के हत्थे से हमला किया गया था क्योंकि वह कुछ अनैतिक हरकतों की गवाह थी जिसमें फायर थामस कोट्टूर सिस्टर सेफी के अलावा फादर कूथाराकयाल शामिल थे.

अदालत ने फूथराकयाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. हत्या के अपराधी पाए गए थॉमस कोट्टूर एक कालेज में प्रोत्रोसर थे. वह तत्कालीन बिशप के सचिव और बाद में कोट्टायन चर्च के चांसलर बने. चर्च से जुड़े लोगों की अनैतिकता और हत्या की वजह से यह मामला काफी चर्चित रहा. जिस नन को दोषी करार दिया गया वह उस होस्टल के इंचार्ज थी जहा सिस्टर अभया रहा करती थी.