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    निर्दलीय विधायकों के वोट बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में जुटाकर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पूरा गेम ही पलट दिया. आखिर महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और महाविकास आघाड़ी के शिल्पकार शरद पवार को भी फडणवीस को लोहा मानना पड़ा. पवार ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में चमत्कार हुआ है. विविध मार्गों से विधायकों को अपने पक्ष में करने में देवेंद्र को सफलता मिली है. पवार ने फडणवीस की सराहना की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राज्यसभा चुनाव नतीजे का राज्य की आघाड़ी सरकार या कोई परिणाम नहीं होगा. आघाड़ी के बहुमत को कोई धक्का नहीं लगा है.

    राज्यसभा चुनाव में छठी सीट पर बीजेपी के धनंजय महाडिक विजय हुए. इसे लेकर पुणे में शरद पवार ने कहा कि मतदान पर आपत्ति उठाना बेकार की जिद थी. राज्यसभा चुनाव में पार्टी नेतृत्व को अपने मत दिखाने पड़ते हैं. इसका उन्हें अधिकार है. जिन्होंने मत दिखाए, उसमें कोई चूक नहीं होने की बात चुनाव आयोग ने कही है परंतु इसकी वजह से 4 घंटा विलंब हुआ. राजनीति में रिस्क लेना ही पड़ता है. उद्धव ठाकरे ने ऐसा रिस्क लिया. अत्यंत कम वोट होने पर भी शिवसेना ने चुनाव लड़ा और 33 मत हासिल किए. वहां बीजेपी का भी उम्मीदवार था. दोनों पार्टियों के मतों की संख्या कम होने से निर्दलीयों के वोट महत्वपूर्ण सिद्ध हुए. हमें समर्थन देने के लिए जो निर्दलीय तैयार थे, उन्हें अपनी ओर खींचने में बीजेपी को सफलता मिली. आघाड़ी की संख्या के अनुसार मतदान हुआ है. चुनाव में समन्वय की कोई कमी नहीं हुई. मत फूटे नहीं बल्कि एक-दो वोट ज्यादा पड़े.

    नतीजे से कोई आघात नहीं

    पवार ने कहा कि इस नतीजे से मुझे कोई आघात नहीं लगा है. मतों की संख्या देखी जाए तो एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के कोटे से 1 वोट ज्यादा प्रफुल पटेल को मिला है. यह मत आघाड़ी का नहीं बल्कि दूसरे पक्ष का है. मुझे पता है कि यह वोट किसका है. शिवसेना विधायक का वोट क्यों निरस्त हुआ, उन्होंने क्या किया, यह मुझे मालूम नहीं है परंतु अन्य तीनों के संबंध में जो चुनाव आयोग का निर्णय है, वह उचित है.

    आघाड़ी में खटपट

    इस चुनाव में शिवसेना ने 12 निर्दलीय विधायकों के अलावा बच्चू कडू के प्रहार संगठन, सपा और बहुजन विकास आघाड़ी के सामने फिल्डिंग लगाई थी लेकिन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की कुशल प्लानिंग के सामने यह पूरी तरह विफल साबित हुई. महाराष्ट्र से राज्यसभा की छटी सीट पर जीत हासिल करने के लिए देवेंद्र ने उम्मीदवारों का नाम तय होने से पहले ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी. इसकी भनक न उद्धव ठाकरे को लगी, न शरद पवार को कुछ पता चला. कोरोना संक्रमित होने के बाद भी देवेंद्र ने अपने गैर राजनीतिक मित्रों को काम पर लगा रखा था. मतदान शुरू होने से लेकर तड़के 4 बजे परिणाम घोषित होने तक देवेंद्र विधानभवन में डटे रहे.

    कांग्रेस का आरोप

    कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना चुनाव प्रबंधन में पूरी तरह विफल रही. शिवसेना नेता निर्दलीय विधायकों को अपने काबू में रखने में सफल नहीं हो पाए. इस वजह से बीजेपी ने बाजी पलट दी. शिवसेना इस बात से भी नाराज है कि चुनाव के अंतिम समय में शरद पवार ने वोट के कोटे को 42 से बढ़ाकर 44 कर दिया था. यह फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पसंद नहीं आया. शिवसेना की हार से आघाड़ी में अफरातफरी है और उसकी एकजुटता पर असर पड़ सकता है. राज्यसभा चुनाव में आघाड़ी ने अपने 3 उम्मीदवारों के पहली पसंद के वोटों की संख्या निर्धारित कर दी थी और दूसरी पसंद के वोटों के बल पर चौथी सीट का जुगाड़ बनाया था लेकिन पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उनसे एक कदम आगे बढ़कर आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए पूरा गेम बदल दिया. अब सवाल उठता है कि क्या निर्दलीयों को भी संकेतों में ईडी का डर दिखाया गया था?

    संजय राऊत का आरोप

    शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि बीजेपी ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का डर दिखाकर वोट हासिल किए. जिन कारणों से शिवसेना के मत रद्द किए वही आक्षेप बीजेपी के मतदाताओं पर भी लिया गया था परंतु वह मत रद्द नहीं किए गए. बीजेपी की शिकायत की 7 घंटे जांच की गई. चुनाव आयोग के दबाव का भी बीजेपी ने इस्तेमाल किया. बाजार में कुछ घोड़े बिक गए जिनके लिए अधिक बोली लगाई गई थी. ऐसे घोड़ा बाजार से सरकार को खतरा नहीं है.