भारत के अग्नि-5 से सहम गए पाक और चीन

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संजय श्रीवास्तव

स्वदेशी तकनीक

देश ने दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम, अति उन्नत एमआईआरबी तकनीक का स्वदेशीकरण कर दो बातें साबित कर दी हैं।  एक तो भारत इस मिसाइल तकनीक के मामले में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस के बराबर आ गया है, दूसरे वह अब छोटे परमाणु शस्त्र बनाने में पूरी तरह सक्षम है।  यह तथ्य भारतीय मिसाइलों के लक्ष्य के दायरे में आने वाले देशों को भयाक्रांत करने वाला है।  

इस तकनीक के जरिए भारतीय सेना एक मिसाइल पर 4 वॉरहेड या युद्धाप रखकर प्रत्येक को अलग-अलग दूरी और दिशा में लक्ष्य भेद के लिए भेज सकती है।  सड़क मार्ग के जरिये पहुंचाई जा सकने वाली इस ‘सिटी किलर’ मिसाइल के बारे में चीन का मानना है कि इसकी लक्ष्य भेदन क्षमता 8,000 किलोमीटर के आसपास है, जिसके चलते उसके सभी महत्वपूर्ण शहर भारत के परमाणु हमले की जद में हैं और यह मिसाइल उसके कई शहरों को एक साथ निशाना बना सकती है। 

डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार लादकर 24 मैक की स्पीड से अग्नि-5 सिर्फ 12 मिनट में बीजिंग और डेढ़ मिनट में इस्लामाबाद पहुंच सकती है।  पाकिस्तान और चीन दोनों ओर से युद्ध का मोर्चा खुल जाए तो एक ही समय पर दोनों पर हमला बोल सकती है।  एमआईआरवी तकनीक वाली मिसाइलों के जरिये दुश्मन देश के एयर डिफेंस को भ्रम में डालने के लिए ऐसे वॉरहेड से भी हमला किया जाता है, जो गैर परमाण्विक होते हैं। 

मिशन दिव्यास्त्र के तहत निर्मित स्वदेशी मिसाइल अग्नि-5 की सफलता ने चीन और पाकिस्तान को गहरी चिंता में डाल दिया है।  रक्षा विकास एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित जमीन से जमीन पर 5,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने वाली स्वदेशी मिसाइल अग्नि-5 ने भारत के परमाणु शस्त्रागार को दिलाई है।  450 किमी की ऊंचाई तक जाने के क बाद अपने रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम की क्षमता के चलते उड़ान के बीच में ही अपना रास्ता और लक्ष्य बदल सकने वाली इस मिसाइल ने सेना की मारक क्षमता को संहारक क्षमता में बदल दिया है। 

अग्नि-6 का भी विकास होगा

अग्नि-5 अपने साथ 2,490 किग्रा तक पेलोड ले जाने में सक्षम है।  भारत ने अमेरिकी तकनीक को और परिष्कृत करके इस्तेमाल किया है जो संभवतः चीन से बेहतर है।  ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के ही तहत स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से सुसज्जित अग्नि-5 के बाद डीआरडीओ ‘अग्नि-6’ के विकास में लगा है जिसकी लक्ष्य भेद क्षमता 6,000 किलोमीटर से भी अधिक होगी।  उधर पाकिस्तान अबाबील नाम से अपना एमआईआरवी तकनीक तथा उसके अनुरूप मिसाइल प्रणाली विकसित करने की कोशिश में है।  पाकिस्तानी दावे के अनुसार, वह इसके परीक्षण कर चुका है। 

हो सकता है कि चीनी सहायता से पाकिस्तान को ऐसी क्षमता हासिल हो जाए लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं होने वाला क्योंकि उसकी हरकत का जवाब भारत जिस स्तर पर देगा, वह उसको भारी पड़ेगा।  रही इसके डिफेंस सिस्टम की बात तो उतना खर्च पाक के लिए मुमकिन नहीं।  जब पूरा पाकिस्तान अग्नि-5 के निशाने पर हो और ऐसी मिसाइल से बचाव प्रणाली विकसित व स्थापित करने के लिए धन तथा तकनीक दोनों को किल्लत हो तो ऐसे में अग्नि-5 का यह सफल संस्करण उसके लिए रक्षा चिंताएं बढ़ाने वाला है।  

हर देश को अपनी सुरक्षा सुदृढ़ बनाने का अधिकार है।  भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है तो आपत्ति कैसी? दुनिया जानती है कि पाकिस्तान और भारत दोनों देश एक दूसरे की सैन्य शक्ति को लेकर संवेदनशील हैं।  पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के जरिए सैन्य क्षमता बढ़ाने में भारी पूंजी निवेश किया है ताकि भारत से हथियारों की होड़ लगा सके।  आज पाकिस्तान के पास 6 परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। 

शाहीनउ और शाहीन 1ए निर्माणाधीन हैं।  इन स्थितियों में भारत भी अपने तूणीर में लंबी दूरी तक मार करने वाली ‘एस 400 ट्रायम्फ’ के साथ मध्यम दूरी पर मार करने वाले स्वदेशी प्रक्षेपास्त्र ‘समर’, बेहद कम दूरी के लक्ष्य भेदने वाली डीआरडीओ द्वारा विकसित ‘वीशोराड्स’ तथा सबसे ज्यादा दूरी पर जाकर शिकार करने वालो एमआई आरवी तकनीक से लैस अग्नि-5 शामिल करता है तो यह उचित ही है।