Despite the milk revolution, 90 percent milk adulteration in the country

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    विश्व में सर्वाधिक पशुधन भारत में है. डा. वर्गीस कुरियन के प्रयासों ने भारत में दुग्ध उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित कर श्वेतक्रांति की थी. इतना होने पर भी लालच में डूबे लोग दूध में मिलावट का गोरखधंधा कर रहे हैं. यह मिलावटी दूध स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है. दूध में सिर्फ पानी ही नहीं मिलाया जाता, बल्कि नकली या सिंथेटिक दूध का कारोबार भी जोरों पर है. कितने ही दुधमुंहे बच्चे ऐसा दूध पीकर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. ऐसे नकली दूध से कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ी हैं. नकली दूध बनाने में घातक डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, सफेद पेंट, व्हाइटनर, हाइड्रोजनपैराक्साइड, वनस्पति तेल, यूरिया जैसा फर्टिलाइजर उपयोग में लाया जाता है.

    त्योहारों पर मिठाइयां बनाने के लिए ऐसे नकली दूध की खपत काफी बढ़ जाती है. यहां तक कि नकली दूध से पनीर और आइस्क्रीम तक बनाया जाता है. सर्विंग इन ऑर्गनाइजेशन इन लीगल इनिशिएटिव नामक संस्था ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार के मंत्रालयों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि देश में मिल रहे दूध व दुग्ध उत्पादों में 80 से 90 प्रतिशत मिलावटी हैं.

    70 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर सही नहीं उतरे हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के दुग्ध उत्पादों की जांच नहीं की गई तो 2025 तक 87 प्रतिशत भारतीय कैंसर जैसी घातक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, 89.2 प्रतिशत दुग्ध उत्पादों में किसी न किसी तरह की मिलावट पाई गई. यद्यपि भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है लेकिन यहां जमकर मिलावट होती है. देश में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है जबकि खपत चौगुनी से भी ज्यादा 65 करोड़ लीटर है. यह बढ़ी हुई मांग मिलावटी दूध से ही पूरी की जा रही है. दूध में मिलावट करने वाले मौत के सौदागरों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है.