editorial Stampede among BJP leaders ahead of Karnataka elections

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जिन नेताओं को अनुमान लग जाता है कि उन्हें पार्टी उम्मीदवारी देनेवाली नहीं है, वे चुनाव के पहले दलबदल करने में संकोच नहीं करते. वहां न निष्ठा का सवाल रहता है न सिद्धांतों का! मतलब पूरा होता दिखाई नहीं दिया तो दूसरी पार्टी में जाने में देर नहीं लगती. कुछ नेता हवा का रूख देखकर भी इस तरह का कदम उठाते हैं. बीजेपी प्राय: हर चुनाव में लगभग 30 फीसदी वर्तमान विधायकों और मंत्रियों का टिकट काटकर उनकी जगह नए और युवा प्रत्याशियों पर दांव लगाती है. पहले इस तरह का प्रयोग गुजरात में हुआ था लेकिन मोदी और अमित शाह के केंद्रीय नेतृत्व संभालने के बाद अब सभी बीजेपी शासित राज्यों में यही फार्मूला अपनाया जाने लगा.

चुनाव के पूर्व बीजेपी के विधायकों व मंत्रियों में धुकधुकी लगी रहती है कि पार्टी टिकट देगी भी या नहीं! इस तरह के रवैये को देखते हुए कुछ पुराने नेता मन से या बेमन से पार्टी छोड़ क दूसरे दल में चले जाते हैं. कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होनेवाला है लेकिन इस बीच एक सप्ताह के भीतर 8 से ज्यादा बड़े राजनीतिक चेहरों ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार से लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी का समावेश जो बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए. सावदी ने इसके पहले एमएलसी पद और बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जिन अन्य नेताओं ने बीजेपी को बाय-बाय कर दिया उनमें आरक्षित सीट से 3 बार विधायक रहे एमसी कुमारस्वामी हैं. जब बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा की पार्टी जदसे में शामिल हो गए.

2019 में बीजेपी को सरकार बनाने में मदद देनेवाले बीजेपी के विधान परिषद सदस्य आर. शंकर ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़ दी. बार-बार पार्टी बदलने की वजह से उन्हें ‘पेंडुलम शंकर’ कहा जाता है. होसदुर्गा के बीजेपी विधायक गुलीहट्टी शेखर ने उम्मीदवारी न मिलने से पार्टी छोड़ दी. कर्नाटक में उपमुख्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके वरिष्ठ बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की. कुछ नेताओं ने पार्टी को अपनी ताकत दिखाई लेकिन फिर भी उनकी दाल नहीं गली. बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक मुनींद्र कुमार के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया. उनके समर्थक 350 पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक बाहरी व्यक्ति तम्मेश गौडा को टिकट दिए जाने से नाराज होकर पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. बीजेपी हाईकमांड जानता है कि चुनाव के पूर्व असंतुष्ट इस तरह की हरकतें करते हैं. सत्ता में बदलाव या एंटी इनकम्बेंसी की आशंकाओं के बावजूद बीजेपी नए चेहरों को टिकट देकर बताना चाहती है कि पार्टी किसी नेता की जागीर नहीं है. वह बदलाव लाकर अन्य लोगों को मौका देने में विश्वास रखती है.