राष्ट्र महत्वपूर्ण है, व्यक्ति नहीं! गैरकानूनी या असंवैधानिक कृत्य करनेवाला यदि अमेरिका का राष्ट्रपति भी हो तो उसे बख्शा नहीं जाता. विश्व के सबसे शक्तिशाली समझे जानेवाले राष्ट्राध्यक्ष पर भी वहां की व्यवस्था का अंकुश बना रहता है. यह बात हर लोकतांत्रिक देश के लिए सीखने योग्य या अनुकरणीय है. अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने राष्ट्रपति जो बाइडन के डेलावेयर राज्य स्थित विलमिंग्टन स्थित आवास की 13 घंटे तक तलाशी ली और गोपनीय दस्तावेज बरामद किए. ये दस्तावेज उस समय के हैं जब 2009 से 2016 तक बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे. उनके कुछ हस्तलिखित नोट भी बरामद किए गए.
बाइडन के आवासों और निजी दफ्तरों से मिले ऐसे गोपनीय दस्तावेजों की कुल संख्या डेढ दर्जन हो गई है. पद और गोपनीयता की शपथ के साथ यह माना जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर रहते हुए या कार्यकाल समाप्त होते समय अपने साथ कोई वर्गीकृत और गोपनीय दस्तावेज नहीं ले जाएगा तथा उसका किसी प्रकार से जिक्र या इस्तेमाल भी नहीं करेगा. अब अमेरिका का न्याय विभाग इस मामले को गंभीरता से ले सकता है. यह नैतिकता, नियमों व कानून का उल्लंघन है. आखिर बाइडन ने ऐसा क्यों किया जिस कारण उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी?
अगले वर्ष नवंबर 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होनेवाला है. जो बाइडन कोशिश में लगे हैं कि देशवासियों के सामने अपने कार्यकाल को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल से बेहतर साबित करें लेकिन उनके घर व कार्यालयों से गोपनीय दस्तावेज बरामद होना उनकी छवि को नुकसान पहुंचाता है. फिर से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में अपनी दावेदारी पेश करने को तत्पर बाइडन के लिए यह बड़ा आघात है. उनकी विश्वसनीयता और जवाबदारी पर इससे आंच आना तय है. बाइडन ने एफबीआई के पास तलाशी वारंट नहीं होने पर भी अपने आवास की तलाशी लेने की स्वेच्छा से अनुमति दी थी.
बाइडन ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ऐसी ही करतूत की थी. 2021 की शुरूआत में व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद ट्रम्प भी गोपनीय के रूप में चिन्हित सैकड़ो रिकार्ड अपने साथ ले गए थे और सरकार के अनुरोध के बावजूद कई महीनों तक उन्हें नहीं लौटाया था. तब एफबीआई ने ट्रम्प के खिलाफ तलाशी वारंट के तहत कार्रवाई की थी. न्याय विभाग ने अभी दस्तावेजों की गोपनीयता के स्तर की समीक्षा नहीं की है. इस तरह के छापे और जांच एजेंसियों की कार्रवाई से स्पष्ट है कि अमेरिका में राष्ट्रपति को भी कानून का उल्लंघन करने की छूट या इम्यूनिटी नहीं है. राष्ट्र की सुरक्षा के लिहाज से गोपनीय दस्तावेज को अपने साथ ले जाने का उन्हें कोई हक नहीं है.