All corona restrictions were abolished in Delhi, CM Kejriwal said – Schools will open completely from April 1
File Photo

    Loading

    आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) शुरू से ही अत्यंत महत्वाकांक्षी रहे हैं. उन्होंने वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतरने की हिम्मत दिखाई थी. पंजाब में भी उनकी पार्टी चुनाव में उतरी थी. वे चाहते हैं कि ‘आप’ का अन्य राज्यों में भी विस्तार हो, इसीलिए दिल्ली के बाहर पैर फैलाने की ताक में लगे रहते हैं. अब केजरीवाल की नजर अगले वर्ष होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव पर है. किसी भी तरह के गठबंधन की बात न करते हुए उन्होंने सीधे एलान किया कि उनकी पार्टी गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

    केजरीवाल की इस तैयारी से बीजेपी अपने लिए स्थिति को बेहतर होता देख रही है जबकि कांग्रेस के भीतर बेचैनी बढ़ गई है. ऐसा होना स्वाभाविक है क्योंकि बीजेपी के पास तो उसके व संघ कार्यकर्ताओं का कैडर है लेकिन कांग्रेस गुजरात में अपने परंपरागत वोटों के साथ मुस्लिम, दलित और युवाओं के समर्थन पर भरोसा करती है. ‘आप’ भी इसी वर्ग के वोटरों का मत पाने का लक्ष्य रखती है. इस तरह ‘आप’ कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाएगी. केजरीवाल ने अपने गुजरात दौरे में कई युवाओं को अपनी पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण करवाई. उन्होंने गुजरात में 30 साल से कांग्रेस और बीजेपी की मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि गुजरात में 27 साल से बीजेपी की सरकार है. वहां कहा जाता है कि कांग्रेस बीजेपी की जेब में है. ऐसे में आम आदमी पार्टी ही वहां सही विकल्प साबित होगी जिसने फरवरी में हुए स्थानीय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था.

    कांग्रेस की चिंता जायज है क्योंकि ‘आप’ जहां भी जाती है, उसके वोट काटने का काम करती है. इसके अलावा कांग्रेस को पहले ही गुजरात में काफी मुश्किलों और विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. उसके सबसे बड़े रणनीतिकार व सोनिया गांधी के अत्यंत विश्वस्त सिपहसालार अहमद पटेल का निधन हो चुका है. इसी तरह कांग्रेस के गुजरात प्रभारी और युवा सांसद राजीव सातव का भी हाल ही में कोरोना से निधन हुआ है. ऐसे संकेत मिले हैं कि पटेल-पाटीदार वोटों की खातिर केजरीवाल अपने साथ हार्दिक पटेल को लेने की तैयारी में हैं. केजरीवाल का दावा है कि गुजरात की जनता के पास बेहतर विकल्प नहीं था. दिल्ली ने दिखा दिया कि बेहतर विकल्प हो तो जनता उसे ठगनेवाली बीजेपी और कांग्रेस को नहीं चुनेगी.