लगातार ट्रेन दुर्घटनाएं, ऐसे में हाई स्पीड के दावों का क्या होगा

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    रेलवे कितनी ही सुरक्षा का दावा करे लेकिन ट्रेन बेपटरी हो रही हैं. होना तो यह चाहिए कि हर यात्री को उसके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की गारंटी रेलवे को लेनी चाहिए और ऐसे एहतियाती उपाय करने चाहिए जिनसे दुर्घटनाओं को टाला जा सके. बीकानेर से गुवाहाटी जाने वाली लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेन उत्तरी बंगाल के जलपाईगुड़ी में डोमोदानी के पास पटरी से उतरी गई. इस दुर्घटना में 9 यात्रियों की मृत्य हो गई तथा दर्जनों घायल हो गए जिनमें से कई की हालत गंभीर है.

    अचानक जोर का झटका लगा और ट्रेन के 3-4 डिब्बे पलट गए. एक डिब्बा दूसरे पर चढ़ गया. कुल 12 बोगियां क्षतिग्रस्त हो गईं. ट्रेन के 1200 में से 700 प्रवासी राजस्थान के थे. इस दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे दिय गया है. इसके पूर्व बिहार में फरवरी 2019 में पीमांचल एक्सप्रेस पटरी से  उतरी थी जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी.

    रेलवे ने बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को 5 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख तथा मामूली रूप से घायल यात्रियों को 25,000 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री व रेलमंत्री ने हादसे पर दुख जताया और अपनी संवेदना व्यक्त की है. सबसे बड़ी जरूरत रेल सुरक्षा पर ध्यान देने की है. ट्रेन की बोगियां व स्पीड बढ़ा दी गई है परंतु क्या पटरियां इस लायक है कि इतना बोझ सहन कर सकें. यदि सही तरीके से मेंटनेंस हो तो गाड़ी पटरी से नहीं उतरेगी.

    कितने ही रेल कर्मी अपनी ड्यूटी व जान की बजाय वरिष्ठ अधिकारियों के बंगले पर काम करते हैं. ट्रैक व पटरियों की मजबूती के अलावा पुराने पुलों पर भी ध्यान देना होगा जिसकी मियाद बीत चुकी है. शीत काल में घने कोहरे की समस्या देखी जाती है इसलिए विदेश के समान एंटी फासिंग डिवाइस का इस्तेमाल करना तथा सिग्नल व्यवस्था को सही रखना होगा. ट्रेन संचालन में सुरक्षा और कुशलता के पहलुओं पर ध्यान देना सर्वाधिक जरूरी है. जब देश में हाईस्पीड और सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने के दावे हो रहे हैं तो रेल सुरक्षा का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है.