स्कूल के समय में बदलाव, केजी व प्राइमरी के बच्चों को राहत

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हर अभिभावक ने महसूस किया है कि तड़के सुबह बच्चों को स्कूल भेजना कितना मुश्किल (School Time Change) और तनावपूर्ण होता है. बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती. उन्हें हिला-हिलाकर सोते से जगाया जाता है और जल्दी-जल्दी टिफिन और बस्ता पैक करके स्कूल बस या वैन में बिठा दिया जाता है. कुछ बच्चे तो वैन में भी आधी नींद में जैसे-तैसे बैठे रहते हैं या उबासी लेते रहते हैं. यह बच्चों के साथ एक तरह की ज्यादती ही थी. इस बात को सभी अनुभव करते थे लेकिन कर भी क्या सकते थे.

कुछ दिनों पूर्व महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने इस समस्या पर गौर किया. उन्होंने ‘मुख्यमंत्री मेरा स्कूल सुंदर स्कूल अभियान की शुरुआत करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि बच्चों को रात में पर्याप्त निंद नहीं मिल पाती है. इसलिए यदि सुबह के सत्र के स्कूल का समय 7 बचे की बजाय 9 बजे कर दिया जाए तो बच्चों को पर्याप्त नींद मिलेगी और वे अपनी पढ़ाई का ध्यान केंद्रित कर सकेंगे. साथ ही इससे अभिभावकों को भी राहत मिलेगी. राज्य के शिक्षामंत्री दीपक केसरकर ने राज्यपाल के इस सुझाव को गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक वर्ष से स्कूलों का समय बदल दिया जाएगा.

राज्य की प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूलों में अब सुबह की पहली घंटी सुबह 9 बजे बजेगी. यहां उल्लेख करना होगा कि सबसे पहले भारत के अंतिम गवर्नर जनरल और फिर मद्रास (अब तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री रहे चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भी इस बात पर चिंता जताई थी कि नन्हें बच्चों को तड़के सुबह तैयार होकर स्कूल जाना पड़ता है.

खासकर ठंड के दिनों में बच्चों केलिए यह अत्यंत कष्टप्रद होता है. वे ठिठुरते हुए स्कूल जाते हैं. राजगोपालाचार्य ने यह बात तब कही थी जब अधिकांश बच्चे पैदल ही स्कूल जाते थे. कुछ स्कूलों की इमारत छोटी होने से वहां 2 शिफ्ट में पढ़ाई होती थी. मार्निंग शिफ्ट 7 से 11 बजे तक चलती थी और दूसरी शिफ्ट 11 से 5 बजे तक चलती थी.

बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद चाहिए. आजकल टीवी मोबाइल के इस्तेमाल और घर में चहलपहल की वजह से अधिकांश लोग आमतौर पर रात 11 बजे सोते हैं. बच्चे भी देर तक जागते रहते हैं इसलिए तड़के सुबह तक उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती. जबरदस्ती जगाने पर वे उनींदा महसूस करते हैं. यह सचमुच बहुत अच्छा हुआ कि स्कूल खुलने का समय सुबह 9 बजे कर दिया गया. यह बच्चों और अभिभावकों दोनों केलिए सुविधाजनक रहेगा.’