Control room started at Shegaon bus stand

महाराष्ट्र की एसटी व शिवशाही बसें अब भरोसेमंद नहीं रहीं. इसका कोई ठिकाना नहीं है कि वे कब और कहां दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं. पहले लोग यही मानते थे कि प्राइवेट ट्रैवल गाड़ियों की तुलना में एसटी ज्यादा

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महाराष्ट्र की एसटी व शिवशाही बसें अब भरोसेमंद नहीं रहीं. इसका कोई ठिकाना नहीं है कि वे कब और कहां दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं. पहले लोग यही मानते थे कि प्राइवेट ट्रैवल गाड़ियों की तुलना में एसटी ज्यादा सुरक्षित है. ट्रैवल की बसें एक तो मनमाना किराया वसूल करती हैं और कई बार बीच में कहीं भी उतार देती हैं जबकि एसटी बराबर बस स्थानक तक ले जाती है. यह भी माना जाता था कि प्राइवेट गाड़ियों की तुलना में एसटी के ड्राइवर अधिक कुशल व जिम्मेदार होते हैं और बस को खतरनाक तरीके से नहीं भगाते. यह सारी बातें भ्रामक साबित हुईं. परिवहन मंत्री अनिल परब ने विधानसभा में स्वीकार किया कि 2016-17 में राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी) की 2,772 बसें दुर्घटनाग्रस्त हुईं. वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,933 तक पहुंच गया. विगत 2 वर्षों की तुलना में 377 दुर्घटनाएं बढ़ीं. एक वर्ष में एसटी की हजारों दुर्घटनाएं होना इस शंका को जन्म देता है कि क्या गाड़ियों को अप्रशिक्षित या नौसिखिया ड्राइवर चला रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि एसटी की गाड़ियों का ठीक से रखरखाव नहीं होता और जर्जर वाहनों से कभी भी दुर्घटना हो जाती है. कभी ब्रेक फेल होता है तो कभी पहिया निकल जाता है. कहीं गाड़ियों में डुप्लीकेट पुर्जे तो नहीं लगाए जाते? ऐसी पुरानी गाड़ियां तत्काल हटाई जाएं जिनसे जान जोखिम में पड़ सकती है. ड्राइवर की कुशलता के साथ ही गाड़ी का दुरुस्त रहना भी जरूरी है. शिवशाही जैसी प्रतिष्ठित बसों का भी भरोसा नहीं रहा. पुणे विभाग में 17 एसी शिवशाही बसें दुर्घटनाग्रस्त हुईं जिनमें 3 बस परिवहन निगम की और 14 बसें किराए की थीं. दुर्घटनाएं टालने के लिए चालकों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है. उनकी आंखों की नियमित जांच होनी चाहिए. थके हुए ड्राइवर को गाड़ी नहीं सौंपनी चाहिए. दुर्घटना वाली सड़कों पर अधिक सावधानी बरतनी होगी.