कहां गया गोरक्षा का नारा, BJP सीएम सावंत का गोमांस पूर्ति का वादा

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बीजेपी (BJP) की कथनी और करनी में यह कैसा जमीन-आसमान का फर्क है कि इस पार्टी द्वारा शासित गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Goa Chief Minister Pramod Sawant) ने गोवावासियों को क्रिसमस (Christmas)और नव वर्ष के अवसर पर बीफ (गोमांस) (Beef) की भरपूर सप्लाई करने का वादा किया है. प्रमोद सावंत का यह कथन अत्यंत विरोधाभासी है जिसमें उन्होंने कहा कि गाय को मैं भी माता मानता हूं पर क्रिसमस और नव वर्ष के दिनों में बढ़ी हुई मांग को देखते हुए बीफ की पर्याप्त मात्रा में पूर्ति  सुनिश्चित करूंगा. सावंत ने कहा कि वे पशुपालन अधिकारियों की बैठक लेकर यह संकट दूर करने के लिए उपाय योजना करेंगे.

गोवंश रक्षा के वादे का क्या हुआ

बीजेपी के पूर्ववर्ती जनसंघ ने बड़े पैमाने पर गोरक्षा आंदोलन चलाया था. तब नारे गूंजे थे- देश धर्म का नाता है, गाय हमारी माता है. मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार तो गोरक्षा के उपायों के लिए राज्य में अतिरिक्त उपकर (काऊ सेस) लगा रही है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी गोरक्षा के बारे में गंभीर रुख रखते हैं. राजस्थान व यूपी में गाय ले जाने वाले अल्पसंख्यक लोगों पर हमले भी हुए हैं. यह सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन यह भी ज्वलंत सत्य है कि अरब देशों को गोमांस सप्लाई करने वाले देशों में भारत अग्रणी है. साधु- संतों के विरोध के बावजूद यह सब होता रहा है. विगत वर्ष तथाकथित गोरक्षकों (काऊ विजिलेंट) से संबंधित कितने ही मामले सामने आए थे जिसमें गाय ले जाने वाले लोगों को पकड़कर उनकी बुरी तरह पिटाई की गई थी. फजलू खान का मामला चर्चित रहा था जिसकी पीट-पीट कर जान ले ली गई थी. क्या बीजेपी की केंद्र सरकार खाड़ी देशों को गोमांस की आपूर्ति रोक सकती है? यदि वह गाय की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है तो ऐसा करके दिखाए! विदेशी मुद्रा तो अन्य वस्तुओं के व्यापार से भी हासिल की जा सकती है. बीजेपी की यदि गोरक्षा के लिए प्रतिबद्धता है तो उसे पूरी तरह निभाए. अगर राजनीति में सिद्धांतवादिता है तो क्या यह पार्टी गोवा के अपने मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान को स्वीकृति देगी?

भिन्न है गोवा की संस्कृति

यह सही है कि खान-पान के मामले में पूर्वोत्तर राज्यों के समान गोवा की संस्कृति देश के अन्य राज्यों से भिन्न है. गोवा पर 400 वर्षों तक शासन करने वाले पुर्तगालियों का प्रभाव है. इसलिए बीजेपी ही नहीं, आरएसएस भी इस मामले में अनदेखी करती है. पूर्वोत्तर तथा गोवा में गोमांस भक्षण सामान्य माना जाता है. इसलिए गोवा के मुख्यमंत्री का बीफ आपूर्ति सुनिश्चित करने का आश्वासन वहां की जरूरतों व परम्परा को देखते हुए है. गोवा में बीजेपी सरकार रहते बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन कुछ पैमाने पर बैल और भैंस मारने की अनुमति दी गई थी. इस दौरान एनसीपी नेता व विधायक चर्चिल अल्मेडो ने मुख्यमंत्री से चर्चा कर कत्लखाने फिर शुरू करने की मांग की. गोवा मीट काम्प्लेक्स लि. का कत्लखाना 5 वर्षों से बंद है जहां एक दिन में 200 मवेशी मारने की व्यवस्था है.

बड़े पैमाने पर तस्करी

देश में अभी भी बड़े पैमाने पर गोवंश की तस्करी होती है. क्या उसमें दुधारू मवेशी नहीं रहते होंगे? आए दिन ऐसे वाहन पकड़े जाते हैं जिनमें निर्दयता से ठूंस-ठूंस कर मवेशियों को भरा जाता है. खेती के लिए ट्रैक्टर व मशीनों का उपयोग बढ़ने से बैलों को कसाई खरीद ले जाते हैं. दूध देना बंद करने के बाद गाय-भैंस से किसान छुटकारा पाना चाहते हैं क्योंकि चारा महंगा हो गया है. गौशाला खोलकर और चारागाह बढ़ाकर ही गोरक्षा हो सकती है. यदि बीजेपी इस मामले में सचमुच गंभीर है तो इसे अपने ठोस कदमों से साबित करे.