गजब का धोखा, बहुत बड़ा छल, सट्टेबाजी के लिए की नकली आईपीएल

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, समय ऐसा आ गया है कि असली और नकली का फर्क पहचान पाना मुश्किल हो गया है. ओरिजिनल से ज्यादा डुप्लीकेट नजर आएंगे. बनावट और मिलावट का जमाना है. समुद्र की गहराइयों से मोती कौन निकाले, जबकि नकली मोती मौजूद हैं. असली हीरे से जरकन नामक नकली हीरा ज्यादा चमकता है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आज आप असली-नकली का जिक्र क्यों कर रहे हैं? क्या इसी नाम की देवआनंद और साधना की 50 वर्ष पुरानी फिल्म याद आ गई?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इंडियन प्रीमियर लीग अर्थात आईपीएल की भारी लोकप्रियता और उसके मैच के नतीजों पर लगनेवाली सट्टे की मोटी रकम को देखते हुए गुजरात के एक व्यक्ति व उसके गिरोह ने नकली आईपीएल करवा डाला. यह इतना वास्तविक लगा कि रूस में बैठे लोग इस पर सट्टा भी लगाने लगे. रूसी सट्टेबाज इसे असली टूर्नामेंट समझने लगे.’’ 

    हमने कहा, ‘‘इतनी बड़ी धोखाधड़ी आखिर कैसे हो सकती है? नकल कितनी भी होशियारी से की जाए, कहीं न कहीं पकड़ी ही जाती है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इस ठग का नाम है शोएब दावड़ा, जो बेटिंग के लिए मशहूर रूस के पब में 8 महीने काम कर चुका था. उसकी मुलाकात एक अन्य ठग आसिफ मोहम्मद से हुई जो क्रिकेट की बारीकियां जानता था. उन्होंने गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में खेत किराए पर लेकर उसे स्टेडियम की शक्ल दी. वहां फ्लड लाइट और 5 हाई डेफिनिशन कैमरे लगवाए ताकि मैच असली दिखे. 

    21 मजदूर युवाओं को लेकर उन्हें असली टीमों के नाम की जर्सी पहनाई गई. आईपीएल की टीमों के नाम भी कॉपी किए गए. कमेंट्री के लिए ऐसे व्यक्ति को लाया गया जो मशहूर कमेंटेटर हर्षा भोगले की आवाज निकालता था. नकली होर्डिंग और विज्ञापन भी लगाए गए. लीग मैच से शुरू कर क्वार्टर फाइनल तक मुकाबले करा लिए गए. इसे असली आईपीएल समझकर रूस और यूरोप के शहरों से सट्टा लग रहा था. पुलिस भी इन ठगों को पकड़कर दंग रह गई.’’ हमने कहा, ‘‘ऐसे ठगों का वश चले तो नकली ओलम्पिक भी करवा दें. ये लोग कागज के फूल पर भी इत्र छिड़क कर उसे गुलाब बता सकते हैं.’’